कभी वो रेस का हिस्सा नहीं थे और अब वो लम्बी रेस के घोड़े बन चुके हैं. बांग्लादेश तुमने कर दिखाया
निदाहास ट्रॉफ़ी का वो फ़ाइनल मुझे अच्छे से याद है. जब बांग्लादेश ने फ़ाइनल में भारत को लगभग हरा ही दिया था. सांसें थमा देने वाला वो मुक़ाबला आख़िरी ओवर तक खिंचा था. वो तो शुक्र था दिनेश कार्तिक का, ठीक समय पर उनका बल्ला चल पड़ा और भारत कप जीत गया.
बांग्लादेश की ये युवा टीम पिछले कुछ सालों से कुछ इसी तरह का प्रदर्शन कर रही है. भले ही किसी को इस टीम से कप जीतने की उम्मीद न हो लेकिन बांग्लादेश बड़ी से बड़ी टीम को हराने का माद्दा रखती है.
अब बीते के दो मैच को ही देख लें, किसी को उम्मीद भी नहीं थी कि बांग्लादेश 321 रनों के लक्ष्य का पीछा कर पाएगी लेकिन इस टीम ने लाजवाब खेल दिखाते हुए मात्र 3 विकेट के नुकसान पर 42वें ओवर में ही वेस्टइंडीज़ मात दे दी.
एक दौर था जब बड़े टूर्नामेंट में सभी टीमें बांग्लादेश के ख़िलाफ़ आसान जीत की उम्मीद में रहते थे लेकिन वो दौर बीत चुका है. बांग्लादेश को अब बड़े टूर्नामेंटों में 'जॉइंट किलर' के नाम से भी जाना जाता है. उलटफेर करना बांग्लादेश की आदत बन चुकी है.
साल 2007 का वर्ल्ड कप हम भारतीय कैसे भूल सकते हैं. सचिन, सौरभ, द्रविड़, सहवाग, धोनी, ज़हीर और कुंबले जैसे धाकड़ खिलाड़ियों के बावजूद टीम इंडिया सुपर 8 में भी जगह नहीं बना पाई थी. वो बांग्लादेश की ही टीम थी, जिसने भारतीय टीम को टूर्नामेंट से बाहर का रास्ता दिखाया था.
क्रिकेट प्रेमी होने के नाते मुझे बांग्लादेश का आख़िर तक लड़ना बेहद पसंद है. ये युवा टीम आख़िर तक जोश और जज़्बे के साथ लड़ती है. यही इसकी सफ़लता की वजह भी है. पहले टीवी पर बांग्लादेश का मैच देखते ही टीवी बंद कर देते थे लेकिन अब ऐसा नहीं होता.
पिछले कुछ सालों में इस टीम ने ज़ीरो से हीरो तक सफ़र तय किया है. इस युवा टीम में जीत की भूख दिखती है. बैटिंग, बॉलिंग और फ़ील्डिंग हर मामले में बांग्लादेश ने शानदार प्रदर्शन किया है. एकजुट होकर खेलना इस टीम की सफ़लता की मुख्य वजह है.
शाकिब-अल-हसन, तमीम इक़बाल, मशरफ़े मोर्तज़ा, मुश्फ़िकुर रहीम, मुस्तफ़िज़ूर रहमान, सौम्य सरकार, मोहम्दुल्लाह और लिटन दास जैसे वर्ल्ड क्लास प्लेयर्स अकेले दम पर टीम को जीत दिलाने का माद्दा रखते हैं.
साल 2016 टी-20 वर्ल्ड कप का वो वाक़या तो आप सभी को याद ही होगा. जब बांग्लादेश मुक़ाबले को आख़िर तक ले गयी. बांग्लादेश को 1 गेंद में 2 रन चाहिए और धोनी ने विकेट के पीछे से दौड़ लगा कर मुस्तफ़िज़ूर रहमान को रन आउट किया था.
बांग्लादेश की ये युवा टीम अब तक सभी बड़ी टीमों को धूल चटा चुकी है. मशरफ़े मोर्तज़ा की कप्तानी में बांग्लादेश पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान, श्रीलंका, दक्षिण अफ़्रीका और ऑस्ट्रेलिया जैसी टीमों के ख़िलाफ़ टेस्ट, वनडे और टी-20 सीरीज़ जीत चुकी है.
1999 के वर्ल्ड कप में पाकिस्तान, साल 2007 के वर्ल्ड कप में भारत, साल 2011 के वर्ल्ड कप में इंग्लैंड, साल 2015 के वर्ल्ड कप में एक बार फिर से इंग्लैंड को को पटखनी देकर इस टीम ने दिखा दिया था कि इसे यूं ही जॉइंट किलर' नहीं कहते.
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