मुस्लिम राइडर का लाया खाना कैंसिल किया, ज़ोमैटो ने पलटकर ठीक माथे पर जवाब दिया

A Twitter user cancels Zomato order for sending non-Hindu delivery boy classy reply is winning the internet

संसार में भांति-भांति के लोग होते हैं. फिर कुछ ऐसे लोग दिखते हैं जिन्हें देख लगता है, क्या हैं ये, क्यों हैं ये, क्या खबर, हां मगर. जो भी हैं. बस हैं.
ऐसे ही एक जने हैं, पंडित अमित शुक्ल. ट्विटर हैंडल @NaMo_SARKAAR. दावा है कि MBA हैं, किसी कंपनी में इंग्लिश में कुछ-कुछ काम भी करते हैं. तो हुआ ये कि इन्होंने घर-घर ऑर्डर पर खाना पहुंचाने वाली कंपनी Zomato (जिसे ऐपों में फ़ूड सर्विस ऐप कहते हैं!) को एक ट्वीट किया. लिखा कि अभी-अभी ज़ोमैटो का एक ऑर्डर कैंसल किया है. क्योंकि उन्होंने ऑर्डर पहुंचाने के लिए एक ‘नॉन-हिंदू राइडर’ नियत किया था.
नॉन-हिंदू राइडर के कारण खाने को मना करते पंडित अमित शुक्ल
अगले ने ‘नॉन-हिंदू राइडर’ लिखा तो मुझे लगा, इंसान कई तरह के होते हैं. ‘हिंदू राइडर’, ‘नॉन-हिंदू राइडर’, ‘कोलकाता नाइट राइडर’, जॉनी ब्लेज़ वाला ‘घोस्ट राइडर’ इत्यादि. अब आप कहेंगे मैं ख़बर में मजाक कर रहा हूं, वहां अगला पूरी इंसानियत से मज़ाक कर रहा है तो नहीं!
खैर, अगले ने लिखा कि ‘नॉन-हिंदू राइडर’ भेजने के बाद, उन्होंने राइडर बदलने से भी मना कर दिया. साथ ही कैंसिलेशन पर रिफंड देने से भी मना कर दिया. मैंने यानी पंडित अमित शुक्ल ने कहा, तुम मुझे डिलीवरी लेने के लिए बाध्य नहीं कर सकते. मैं रिफंड नहीं चाहता, बस ऑर्डर कैंसिल करना चाहता हूं.
पलटकर ज़ोमैटो का ट्वीट आया. ऐसा ट्वीट कि जनता बम-बम हो गई. ज़ोमैटो ने लिखा, भोजन का कोई धर्म नहीं होता, भोजन खुद में एक धर्म है.
कहना न होगा इस रिप्लाई ने बमचक काट दी. लोगों ने खूब तारीफ़ की. कंपनियां ऐसे जवाब देकर खुद को ख़बरों में बनाए रखने के लिए ख़ास लोग बैठाती हैं. इस बार वो कोशिश काम आई.
पर अमित के ट्वीट देखे तो मूल ट्वीट के आगे भी अमित के कई ट्वीट थे. आरोप था कि कैसे ज़ोमैटो हमें उन लोगों से डिलीवरी लेने पर मज़बूर कर रही है. जिन्हें ‘हम नहीं चाहते’. ऊपर से पैसे भी नहीं लौटाते. मैं ये ऐप हटा रहा हूं और अपने वकीलों से भी इस बारे में बात कर रहा हूं.

Just cancelled an order on @ZomatoIN they allocated a non hindu rider for my food they said they can't change rider and can't refund on cancellation I said you can't force me to take a delivery I don't want don't refund just cancel
@ZomatoIN is forcing us to take deliveries from people we don't want else they won't refund and won't cooperate I am removing this app and will discuss the issue with my lawyers

1,398 people are talking about this
यहां तक पढ़कर मुझे लग रहा था. इस आदमी का नॉन-हिंदू पर इतना ज़ोर क्यों है? सिखों से, ईसाइयों से, मुसलमानों से, बौद्ध, जैन या पारसियों से इसे दिक्कत क्या है? तभी ये ट्वीट नज़र आया. जिसे देखने के बाद मैंने अपना सिर पकड़ लिया. ये लाइन नाक से टाइप की गई है. लिखा था, क्या आप राइडर बदल सकते हैं. सावन चल रहा है और डिलीवरी वाला मुसलमान है.

Zomato से चैट का स्क्रीनशॉट

बीते लंबे समय से फ़ूड ऐप के राइडर्स, कैब ड्राइवर्स के धर्म को लेकर ऐसी ऊटपटांग बातें चल रही हैं. धर्म पर पगलाए लोग दूसरे धर्म को देखकर कैब कैंसिल कर देने की बात कहते हैं. इस केस में भी वही हो रहा है. श्रावण में मुस्लिम राइडर से खाना लेना की बात कहना अपनी जड़ताओं को धर्म की लेयरिंग से बचाना है.
वैसे अमित चाहें तो एक पक्ष पर और सोच सकते हैं. राइडर का पता चल गया? लेकिन क्या हो अगर किचन में खाना बनाने वाला शेफ नॉन-हिंदू हो. बनने वाले खाने में गुंथ रहे आटे, कट रही सब्जी, धुल रहे चावल को धोने वाला नॉन हिंदू हो. चलिए ये भी आप देखभाल कर तय कर सकते हैं. पर अगर ऐप डेवलप करने वाला नॉन-हिंदू हुआ तो? ऐप भी नॉन-हिंदू हो जाएगा, श्रावण में नॉन-हिंदू ऐप से ऑर्डर हुआ खाना खा लेंगे. मान लीजिए, सब हिंदू रहे, लेकिन जिस गाड़ी से राइडर आया. और गाड़ी जिस सड़क से आई, उसे किसी नॉन-हिंदू ने बनाया हो तो? सड़क नॉन-हिंदू हो जाएगी. नॉन-हिंदू सड़क से आया खाना खाएंगे आप?
कुल जमा छुप जाइए, किसी बिल में घुसिए, तकिए में मुंह छुपा लीजिए. पेट पर गीला कपड़ा बांध लीजिए. दांत के बीच कपड़ा दबा डालिए. आप नॉन-हिंदू लोगों से दूर नहीं जा सकते. इस देश में नॉन-हिंदू लोग एक्जिस्ट करते रहे हैं, करते रहेंगे. ऐप नहीं रहेंगे, अमित और हम भी नहीं रहेंगे. देश रहेगा, लोग रहेंगे. सिर्फ सावन क्यों? चैत-बैसाख, जेठ-असाढ़, सावन-भादों, कुंआर- कार्तिक, अगहन पूस, माघ-फागुन में मिलेंगे. हिंदू और नॉन-हिंदू रहेंगे.
खाना लाते, सड़क पर चलते , ऑफिस में काम करते मिलेंगे. मॉर्निंग वॉक करते मिलेंगे, आप अपने लोगों से दूर कहां जाएंगे अमित जी?

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