पिछले कुछ दशकों से टेस्ट क्रिकेट की चमक फ़ीकी पड़ती जा रही है. टी-20 के इस दौर में लोगों के पास 5 दिन का मैच देखने का समय ही नहीं है. आज फ़ैंस का मिज़ाज बदल चुका है. वो टेस्ट मैचों की उबाऊ बल्लेबाज़ी देखना पसंद नहीं करते, उन्हें हर बॉल में चौके-छक्के देखना पसंद है. लेकिन ऐसा नहीं है कि हर टेस्ट मैच बोरिंग ही होता है.
आज हम आपको एक ऐसे ही टेस्ट मैच के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे टेस्ट क्रिकेट इतिहास का सबसे रोमांचक मुक़ाबला कहा जाता है.
बात साल 2011 की है. वेस्टइंडीज़ की टीम 3 टेस्ट मैचों की सीरीज़ खेलने भारत दौरे पर आई हुई थी. भारत इस सीरीज़ के शुरुआती दो मैच जीतकर पहले ही श्रृंखला अपने नाम कर चुका था. भारत तीसरा और अंतिम टेस्ट मैच जीतकर श्रंखला में क्लीन स्वीप के इरादे से उतरा था.
ये ऐतिहासिक मुक़ाबला मुंबई के वानखेड़े स्टेडयम में 22 से 26 नवंबर 2011 को खेला गया था. इस मैच की पहली पारी में वेस्टइंडीज़ ने डैरेन ब्रावो की 166 रनों की शानदार पारी की बदौलत 590 रनों का विशाल स्कोर बनाया. जवाब में भारत निचले क्रम में रविचंद्रन अश्विन के पहले टेस्ट शतक की मदद से 482 रन ही बना सका. इस हिसाब से वेस्टइंडीज़ को 108 रनों की बढ़त मिली.
टेस्ट मैच की दूसरी पारी में भारतीय गेंदबाज़ों ने कमाल की गेंदबाज़ी करते हुए वेस्टइंडीज़ की पूरी टीम को 57.2 ओवर में 134 रनों पर ढेर कर दिया. इस दौरान प्रज्ञान ओझा ने 6 विकेट जबकि रविचंद्रन अश्विन ने 4 विकेट झटके. वेस्टइंडीज़ ने पहली इनिंग में मिली 108 रनों की बढ़त के आधार पर भारत को मैच के आख़िरी दिन 64 ओवरों में 243 रनों का लक्ष्य दिया.
दूसरी पारी में भारत की शुरुआत अच्छी नहीं रही. गौतम गंभीर (12) के रूप में भारत ने 19 रनों के योग पर अपना पहला विकेट गंवाया. इसके बाद सहवाग और द्रविड़ भारतीय पारी को 100 के पार ले गए. लेकिन 101 रन के स्कोर पर भारत ने सहवाग (60) का विकेट गंवा दिया. सहवाग के आउट होने के 5 रन के भीतर ही सचिन (3) और 12 रन बाद द्रविड़ (33) भी चलते बने.
भारत 24.1 ओवरों में 113 रन पर अपने 4 महत्वपूर्ण विकेट गंवा चुका था. इस दौरान कोहली और लक्ष्मण के बीच 52 रनों की छोटी मगर महत्वपूर्ण साझेदारी हुई. जब ऐसा लग रहा था कि भारत इस मैच पर अपनी पकड़ बना रहा है तभी 165 के स्कोर पर भारत ने लक्ष्मण का विकेट गंवा दिया.
विराट एक छोर पर टिके हुए थे और उनका साथ देने आए कप्तान धोनी भी 13 रन बनाकर चलते बने. अब भारतीय टीम मुश्किल में थी. भारत को कोहली और पुछल्ले बल्लेबाज़ों के दम पर 14.2 ओवर में 50 रन की दरकार थी, मगर 224 रन के स्कोर पर कोहली भी 63 रन बनाकर चलते बने.
कोहली के आउट होने के बाद भारत को जीत के लिए 23 गेंदों पर 19 रनों की दरकार थी. इस दौरान भारत के पास केवल 3 विकेट शेष थे. टीम इंडिया के लिए अच्छी बात ये थी कि पहली पारी में शतक लगाने वाले अश्विन अभी क्रीज पर मौजूद थे. अश्विन ने इशांत के साथ मिलकर मैच को आगे बढ़ाया, भारत जीत के क़रीब लग रहा था. इस बीच स्टेडियम अचानक दर्शकों से भरने लगा और मैच का रोमांच बढ़ने लगा. भारतीय फ़ैंस जीत के लिए निश्चिन्त थे.
भारतीय पारी का 63वां ओवर था. रवि रामपाल इशांत शर्मा को गेंदबाज़ी कर रहे थे. अचानक मैदान पर सन्नाटा छा गया. लक्ष्य से मात्र 4 रन पहले इशांत रवि रामपाल की गेंद पर क्लीन बोल्ड हो गए. इशांत के आउट होते ही दर्शक मायूस हो गए क्योंकि इसके बाद भारत की अंतिम जोड़ी मैदान पर थी और टीम को आख़िरी ओवर में जीत के लिए 3 रन बनाने थे.
वेस्टइंडीज़ की ओर से पारी का आख़िरी ओवर लेकर आए फ़िडेल एडवर्ड्स. स्ट्राइक पर थे वरुण ऐरोन. ऐरोन ने पहली, दूसरी और तीसरी गेंद डॉट खेली. एडवर्ड्स की लगातार 3 डॉट गेंद के बाद रोमांच अपने चरम पर था. चौथी गेंद को ऐरोन ने मिड-ऑफ़ पर खेलकर एक रन चुराया. अब आश्विन स्ट्राइक पर थे और भारत को 2 गेंदों पर 2 रन चाहिए थे. पांचवी गेंद डॉट ! दर्शक हैरान परेशान ! आश्विन भी हैरान !
अब भारत को आख़िरी गेंद पर 2 रनों की दरकार थी. जीत की उम्मीदें भी थी क्योंकि आश्विन स्ट्राइक पर थे. आख़िरी गेंद दिलों की धड़कनें तेज़ ! इस बीच अश्विन ने गेंद पर कड़ा प्रहार किया. पहला रन तेज़ी से पूरा किया और अश्विन दूसरे रन के लिए भी निकल चुके हैं लेकिन ये क्या अश्विन रन आउट ! और मैच ड्रॉ !
इसी के साथ भारत और वेस्टइंडीज़ के बीच तीसरा टेस्ट मैच ड्रॉ. भारतीय फ़ैंस हैरान परेशान! लेकिन मैच रोमांच से भरपूर था.
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