आपके अनुसार नोकिया मोबाइल कम्पनी के पतन का क्या मूल कारण रहा ?


क्यों डूबा नोकिया
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भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के अनुसार वर्ष 2000 में भारत में करीब 19 लाख मोबाइल कनैक्शन थे जबकि आज करीब 92 करोड़ मोबाइल कनैक्शन हैं. भारत में मोबाइल दरें भी दुनिया में सब से कम हो गई हैं. ये तमाम आंकड़े साबित करते हैं कि भारत में मोबाइल का बाजार अभी मंदा नहीं पड़ा. तो फिर सोचने वाली बात तो यह है कि इतना ज्यादा बिकने वाला नोकिया आखिर डूब क्यों गया. एक्सपर्ट तो नोकिया की खराब कारोबारी योजना को इस के पतन का जिम्मेदार बता सकते हैं लेकिन नोकिया का पतन उसी समय शुरू हो गया था जब स्मार्टफोन बाजार में उतरे. स्मार्टफोन बाजार में सब से मजबूत पकड़ एंड्रोएड ने बनाई है.
गूगल का एंड्रोएड सब से तेजी से उभरता औपरेटिंग सिस्टम बना. इस प्लेटफौर्म पर देखते ही देखते सोनी से ले कर सैमसंग और मोटोरोला ने अपने नए मौडल उतार दिए लेकिन नोकिया, एंड्रोएड और स्मार्टफोन के सुनहरे भविष्य को भांप नहीं पाया और खुद को पुराने जावा के ही प्लेटफौर्म तक सीमित रखा. उधर, सस्ते होते स्मार्ट फोन और आकर्षक डेटा पैकेज उपलब्ध होने की वजह से भी स्मार्टफोन की बिक्री को मदद मिली. नीलसन इनफौर्मेट के सर्वे के अनुसार, भारतीय अपने स्मार्टफोन के साथ बिताए समय का एकचौथाई से भी कम भाग यानी करीब 18 प्रतिशत समय कौल और एसएमएस पर लगाते हैं. वहीं, 24 प्रतिशत समय ब्राउजिंग और 21 प्रतिशत ऐप्स के प्रयोग में खर्च करते हैं. एंड्रोएड की लत ऐसी लगी कि सैमसंग, सोनी और मोटोरोला के साथसाथ माइक्रोमैक्स, स्पाइस, इंटैक्स समेत कई मोबाइल ब्रैंड्स भारतीय बाजारों में धड़ल्ले से बिकने लगे. नहीं बिका तो नोकिया का फोन.
खैर, नोकिया को अब तक यह बात समझ आ चुकी थी कि बिना एंड्रोएड के मोबाइल की दुनिया में टिकना आसान नहीं है, इसीलिए उस ने आननफानन माइक्रोसौफ्ट के साथ मिल कर एंड्रोएड की लूमिया सीरीज शुरू की थी और काफी हद तक वापसी भी कर रही थी लेकिन शायद तब तक देर हो चुकी थी और हश्र सब के सामने है. कहते हैं बदलाव प्रकृति का नियम है और जो समय के साथ नहीं बदलता उस का अस्तित्व खतरे में पड़ते देर नहीं लगती. खासतौर पर, जब तकनीक की दुनिया की बात हो तो हर परिवर्तन क्रांति ले कर आता है. नोकिया खुद को समय के साथ बदल नहीं पाई और पिछड़ गई. उम्मीद है कि माइक्रोसौफ्ट नोकिया वाली गलती नहीं दोहराएगी, क्योंकि माइक्रोसौफ्ट नोकिया से गुजर कर ही मोबाइल की दुनिया में उतर रही है.

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