रवीश कुमार को भाजपा विरोधी क्यों कहा जाता हैं?

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रविश कुमार एक पत्रकार हैं,उनका कोई अपना चैनल नही। Ndtv में काम करते हैं तनख्वाह पाते है।बस यही है रविश कुमार।
सवाल है कि चर्चा में क्यों है?
क्योंकि इस बिकाऊ दौर में जब पत्रकार कोड़ियों के भाव बिकने को चौराहे मैं आ बैठे हैं।जब समस्त पत्रकार जगत रेंगने पर एक दूसरे से होड़ लगाए बैठा है।ऐसे वक्त में एक आदमी अपनी धुन में पत्रकारिता कर रहा है।शिक्षा,रोज़गार,स्वास्थ्य,आपसी भाईचारे की बात कर रहा है तो उसमें भाजपा कहाँ से आ गयी?क्या ये देश की समस्याएं नही हैं?क्या भाजपा वाले भारत के लोग नही हैं? क्या भाजपा को देश से कुछ लेना देना नही?
रविश कुमार तो सत्ता से प्रश्न पूछते है" ये किस का लहू है कौन मरा, ए रहबरे मुल्को कौम बता? प्रश्न तो सत्तासीन से ही पूछे जाएंगे न। अर्थव्यवस्था लुढ़क गयी,व्यापार मंदी की तरफ जा रहा है,रोज़गार के अवसर घट रहे हैं,विद्यालयों में शिक्षा स्तर, अध्यापक न होने की वजह से शिक्षा बेमायने डिग्री में बदल रही है,विश्वविद्यालय इम्तहान नही ले रहा,सिलेक्शन के बाद भी नियुक्तियां नही हो रही ।ये तो देश के सवाल हैं, अगर सत्तासीन सुन ले कुछ क्रियाशील हो जाये तो भाजपा को क्या नुकसान होगा। सारा मीडिया बापू के तीन बन्दरों के अभिनय में लीन है।मोदी चालीसा का भजन कीर्तन,सरकार की असफलताओं को नेहरू गांधी परिवार के माथे मढ़ने, हिंदु मुस्लिम ,पाकिस्तान के इलावा चैंनलों पे क्या दिखाया जाता है।?
रविश कुमार तो पत्रकार है वह बन्दरों की कतार में क्यों बैठे? अब तो मीडिया के बंदरों में भी हीन भावना भर चली है। ये मोदी के बन्दर अब रविश पर भी छींटा कशी पर उतारू हैं।
पत्रकार तो सत्ता से सवाल पूछेगा।सत्ता पे आसीन राजनैतिक पार्टी भाजपा है। यही भाजपा की समस्या है। बस यही समझ लो महाभारत में जैसे जयद्रथ (सत्तासीन) कौरवों ( भाजपा और ट्रोल सेना)की भीड़ के सुरक्षा कवच में छुप गया था। इसलिए कह सकते है कि रविश कुमार भाजपा विरोधी है।
सरकार से सवाल पूछना है,अभी तो सरकार भाजपा की है इसलिए मान लो कि 2024 तक तो रविश कुमार घोषित भाजपा विरोधी हैं।

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