इस प्रश्न के जवाब को जानने के लिए पहले दोनों देशों के एजुकेशन सिस्टम को देखते है -
- अमेरिका - पूरी तरीके से डिजिटल पढ़ाई । लैपटॉप पर होमवर्क ।
- हमारे यहां तो बच्चे के वजन से ज्यादा उसका बस्ते का वजन है ।
- एक क्लास में तीस से ज्यादा बच्चे होते ही नहीं ।
- और भारत में तो खुद मेरी कक्षा में अभी साठ बच्चे है।
- अमेरिकी स्कूल में स्कूल टॉपर से ज्यादा तो फुटबाल प्लयेर फेमस होते है । स्कूल में सैकड़ों क्लब बने होते है । गेमिंग क्लब से लेकर फिशीग क्लब तक ।
- यहां स्कूल टॉपर को हीरो माना जाता है । और बाकी सारी चीज़े जिनमें पढ़ाई ना हो , वो समय व्यर्थ करने वाली मानी जाती है ।
- एक अमेरिकी हाईस्कूल का लड़का आपको मैक्डोनल्ड में काम करते हुए मिल जाएगा , भले ही वो कितने रईस घराने से क्यों ना हो ।
ये तत्कालीन अमेरिकी प्रेसिडेंट ओबामा की बेटी है ।
- अमेरिका में बहुत ही छोटी उम्र से ही बच्चो को आत्मनिर्भर बन दिया जाता है ।
- यहां तो बच्चा कक्षा दसवी से ही सुबह का पूरा दिन स्कूल में बीतता है और शाम को आईआईटियन बनने की फैक्ट्री में ।
और सबसे बड़ी बात -
अमेरिका में माता पिता NEET IIT और UPSC के आलावा भी बहुत सारे काम जानते हैं ।
वहां जिसे पेंटिंग करना होता है वो पेंटिंग करता है ।
यहां जिस बच्चे को पेंटिंग का शौक होता है वो आईआईटी करता है ।
पैसा तभी कमा पाएंगे जब आपको वो काम करने में मज़ा आए । एक बड़े नौकर से अच्छा है एक छोटे मलिक बनो |
यहां तो नींव ही कमजोर है , इमारत क्या खाक टिकेगी ?
भारत की आज की शिक्षा प्रणाली लॉर्ड मैकाले की देन है । उस समय अंग्रेज़ भारतीयों को ही ये रटने वाले विषय पढ़ा कर क्लर्क आदि छोटे- मोटे नौकरियों के लिए तैयार करते थे क्योंकि ब्रिटेन से लोगो को लाना बहुत महंगा साबित होता था ।
उस समय से ही इतिहास , कला , साइकोलॉजी आदि तमाम विषय मुख्य भूमिका से अलग हो गए , और आज भी लोग इन विषयों को नहीं लेते ( और माता - पिता ना ही लेने देते है )
यही शिक्षा प्रणाली आज तक चली आ रही है और लोगो की सोच आगे नहीं बढ़ पा रही है ।
नोट - ये मेरे स्वयं के विचार है ।
अपना समय देने के लिए धन्यवाद !
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