बात उन दिनों की है जब दुनिया में आज की तरह पानी की सुविधा नहीं थी। लोगों को दूर जाकर नदी से पानी लाना होता था। किसी गाँव में एक गरीब किसान रहता था जो मेहनत मजदूरी करके अपना पेट भरता था। वह किसान रोजाना दूर किसी नदी से पानी लाया करता था। किसान रोज सुबह सूर्योदय से पहले ही उठता और अपने 2 घड़ों को एक डंडे में बांधता और डंडे को कंधे पर रखकर पानी लेने नदी की ओर चल देता।
किसान की पिछले कई सालों से यही दिनचर्या थी। किसान के उन दो घड़ों में से एक घड़ा फूटा हुआ था। किसान नदी से तो दोनों घड़े भरकर लाता लेकिन घर आते आते फूटे घड़े से आधा पानी रास्ते में ही गिर जाता था। घर आते आते किसान के पास सिर्फ डेढ़ घड़ा पानी ही बचता था। लेकिन किसान कभी भी इस बात को लेकर चिन्तित नहीं होता था।
फूटे घड़े को खुद में बहुत शर्मिंदगी महसूस होती थी कि बेचारा किसान सुबह उठकर दूर तक पैदल जाता है और मैं बदले में उसे क्या देता हूँ ? उसकी आधी मेहनत खराब कर देता हूँ। वहीँ दूसरा घड़ा खुद पे गर्व महसूस करता था कि मैं पूरा पानी लेकर आता हूँ और अपने मालिक की मेहनत को बर्बाद नहीं होने देता।
रोजाना की तरह किसान एक सुबह जैसे ही दोनों घड़ों को ले जाने लगा, फूटा घड़ा बड़े ही करुण स्वर में बोला – हे मित्र! मैं खुद पर बहुत शर्मिंदा हूँ। तुम रोजाना कितनी मेहनत करते हो और मैं आधा पानी रास्ते में गिरा देता हूँ, मुझे क्षमा करें।
किसान भी घड़े की दशा देखकर बहुत दुखी हुआ उसने फूटे घड़े से कहा कि मित्र तुम दुखी ना हो, आज जब मैं पानी लेकर लौटूं तो तुम रास्ते में खिले सुन्दर फूलों को देखना।
ऐसा कहकर किसान ने डंडे को कंधे पर रखा और घड़ों में पानी लेने चल दिया। घड़े ने वैसे ही किया, उसने देखा कि पूरे रास्ते में रंग बिरंगे फूल खिले हुए थे लेकिन फूटा होने के कारण उसका पानी लगातार निकलता जा रहा था। घर वापस आते ही घड़ा फिर से किसान से माफ़ी माँगने लगा – मित्र मैंने एक बार फिर आपकी मेहनत पर पानी फेर दिया और केवल आधा घड़ा ही पानी ला सका।
किसान घड़े की बात सुनकर हंसा और बोला – मित्र शायद तुमने ध्यान से उन फूलों को नहीं देखा। रास्ते में खिले हर फूल तुम्हीं को देखकर मुस्कुरा रहे थे। सबके चेहरे तुम्हारी तरफ ही खिले थे। जानते हो ऐसा क्यों ? क्यूंकि तुमने ही उन फूलों को जीवन दिया है। तुम्हारी ही बिखेरे पानी से वो फूल मुस्कुराते हुए बड़े हुए हैं। मैं जानता था कि तुम्हारा पानी बिखर जाता है इसलिए मैंने पूरे रास्ते में फूलों के बीज बो दिए थे।
आज तुम्हारे ही कारण पूरा रास्ता स्वर्ग जैसा नजर आता है। लोग इन फूलों को तोड़कर भगवान को अर्पित करते हैं, सारे फूल तुमको देखकर खुशी से मुस्कुराते हैं। तुम्हारे दुखी होने का कोई कारण ही नहीं है, तुमने फूटे होते हुए भी ना जाने कितने लोगों को खुशियाँ दी हैं, ये तुम्हारी कमजोरी नहीं बल्कि तुम्हारी शक्ति है। फूटा घड़ा किसान की बातों को सुनकर बहुत ही प्रसन्न हुआ।
दोस्तों कमियाँ हर इंसान में होती हैं, और सुधार की गुंजाईश भी हमेशा रहती है। इस दुनिया में कोई भी पूर्ण नहीं है सबके अंदर कुछ ना कुछ कमियाँ जरूर हैं। लेकिन अपनी कमियों को अपनी कमजोरी ना बनने दें। ये कमियां ही इंसान को अनोखा बनाती हैं, अपने अंदर कमियों को अपनी ताकत बनाइये।
स्टीफन हॉकिंस दुनिया के सबसे बड़े वैज्ञानिकों में से एक हैं उनका पूरा धड़ काम नहीं करता लेकिन फिर भी वो आज एक सफल वैज्ञानिक हैं। इरा सिंघल विकलांग होते हुए भी IAS Topper बनीं। ऐसे कितने ही उदहारण हमारे सामने हैं, जिन्हें हम रोज न्यूज चैनलों और अख़बारों में देखते हैं।
आपके अंदर की कमी आपकी कमजोरी नहीं है बल्कि वही कमी आपको दूसरों से अलग बनाती है। तो आज से अपनी कमियों को अपनी कमजोरी का हिस्सा ना बनने दें। और ये कहानी आपको कितनी अच्छी लगी ये हमें कमेंट करके जरूर बताएं
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