राष्ट्रीय गणित दिवस Essay on National Mathematics Day India in Hindi
भारत ने सम्पूर्ण विश्व के विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारत की धरती पर अनेक ऐसे वैज्ञानिकों तथा गणितज्ञों ने जन्म लिया। जिन्होंने भारत को वैश्विक स्तर पर एक नई बुलंदी पर पहुँचाने का काम किया है।
प्राचीन काल से भारत और गणित के मध्य का रिश्ता बहुत अटूट रहा है क्योंकि भारत ही वह देश है जिसने पूरी दुनिया को गणित के सबसे महत्वपूर्ण अंक ‘शून्य’, नकारात्मक संख्या, दशमलव प्रणाली, बीजगणित, त्रिकोणमिति जैसे विषयों से अवगत कराया था।
राष्ट्रीय गणित दिवस Essay on National Mathematics Day India in Hindi
22 दिसंबर 1887 को तमिलनाडु के इरोड में एक ऐसे महान भारतीय गणितज्ञ का जन्म होता है जिसकी गिनती आधुनिक काल के महानतम गणित विचारकों में होता है। इस महान गणितज्ञ का नाम श्रीनिवास रामानुजन इयंगर था।
इनको गणित में कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं मिला था इसके बावजूद इन्होंने अपनी प्रतिभा और लगन से ना केवल गणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किए अपितु भारत को वैश्विक स्तर पर गौरव प्रदान कराने का भी काम किया था।
इनके द्वारा गणित के लिए दिए गए अतुलनीय योगदान को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2012 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी के द्वारा इनके 125वीं जयंती पर इनके जन्मदिन को राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में घोषित किया गया था। वर्ष 2012 में ही संपूर्ण भारतवर्ष में पहली बार 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाया गया था।
भारत की इस पवित्र धरती ब्रम्हागुप्त, आर्यभट्ट तथा श्रीनिवास रामानुजन आदि जैसे अनेकों महान गणितज्ञों ने जन्म लिया था। जिन्होंने गणित के अनेक सूत्रों, प्रमेयों तथा सिद्धांतों का विकास एवं प्रतिपादन करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
इन सब के द्वारा किए गए इन्हीं कार्यों को प्रेरणा स्रोत के रूप में प्रयोग करना तथा इनके गौरवशाली इतिहास को आगे बढ़ाने के लिए ही भारत में राष्ट्रीय गणित दिवस को मनाया जाता है। भारत में राष्ट्रीय गणित दिवस को मनाने का एक उद्देश्य इन सभी महान गणितज्ञों को सच्ची श्रद्धा से श्रद्धांजलि अर्पित करना भी है।
राष्ट्रीय गणित दिवस के दिन भारत के सभी शैक्षिक संस्थानों जैसे कि स्कूल कॉलेजों में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है इस कार्यक्रम में भारत के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के जीवन तथा इनके द्वारा गणित के क्षेत्र में किए गए अतुलनीय योगदान पर प्रकाश डाला जाता है।
श्रीनिवास रामानुजन का जीवन आज की युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। अपने शिक्षा के प्रारंभिक चरण में श्रीनिवास रामानुजन का मन पढ़ाई में बिल्कुल भी नहीं लगता था परंतु ये बहुत ही जिज्ञासु प्रकृति के व्यक्ति थे इसी कारण से ये अपने अध्यापक से पूछने में बहुत अधिक रुचि रखते थे।
जिज्ञासु प्रकार के होने के कारण यह गणित विषय में अत्यधिक रुचि रखते थे। गणित विषय में अधिक रुचि रखने के कारण ही यह अन्य विषयों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे पाते थे। इसका परिणाम यह हुआ था कि ये अपनी 11वीं की परीक्षा में गणित के विषय में तो टॉप कर लिए थे लेकिन अन्य सभी विषयों में अनुत्तीर्ण हो गए थे।
श्रीनिवास रामानुज की प्रतिभा का पता इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब यह सातवीं कक्षा में अध्ययन करते थे तो उसी समय ये बी. ए. के छात्रों को गणित पढ़ाया करते थे। लोनी के द्वारा प्रसिद्ध त्रिकोणमिति जिसे हल करने में बड़े-बड़े गणितज्ञ असफल हो जाया करते थे, इन्होंने अपनी मात्र 13 वर्ष की अल्पायु में ही हल करके अपनी प्रतिभा को प्रमाणित कर दिया था।
तथा अपनी 16 वर्ष की अवस्था में ही इन्होंने विश्व के महान गणितज्ञो में से एक G. S CARR द्वारा लिखीं गयी पुस्तक ‘A synopsis of elementary results in pure and applied mathematics’ में लिखीं गयी 5000 से अधिक प्रमेयों को सिद्ध करके उनकी प्रमाणिकता को सुनिश्चित किया था।
श्रीनिवास रामानुजन के बारे में यह कहा जाता था कि ये गणित के किसी भी प्रश्न को सबसे अधिक तरीके से हल कर सकते थे इनकी इसी विलक्षण प्रतिभा ने इनको विश्व में गणित का गुरु होने का दर्जा दिलाया था।
इन्होंने अपने पूरे जीवन काल में लगभग 3,884 प्रमेयों को संकलित किया था। इनके द्वारा संकलित की गयी प्रमेयों में से अधिकांश को सही सिद्ध भी किया जा चुका है।
परंतु इनके द्वारा बताये गए कुछ सिद्धांत तथा प्रमेय आज भी गणितज्ञो के लिए एक अनसुलझी हुई पहेली बने हुए है। इनका पहला शोधपत्र “बरनौली संख्याओं के कुछ गुण” नामक शीर्षक से जर्नल ऑफ इंडियन मैथेमेटिकल सोसाइटी में प्रकाशित हुआ था।
श्रीनिवास रामानुजन ने पाँच वर्षों तक इंग्लैंड में संख्या सिद्धांत पर कार्य किया था जिसके बाद इन्होंने गणित के दो सबसे महत्वपूर्ण नियतांको ‘पाई’ तथा ‘ई’ के मध्य सम्बद्ध एक अनंत सतत भिन्न क माध्यम से स्थापित किया था।
इन्होंने ऐसी प्राकृतिक संख्याओ की भी खोज की थी जिनको दो अलग-अलग प्रकार से दो संख्याओं के घनो के योग के द्वारा निरूपित किया जा सकता है। इन संख्याओ की खोज श्रीनिवास रामानुजन के द्वारा किये जाने के कारण से ही इन संख्याओं को ‘रामानुजन संख्याएँ’ भी कहा जाता है।
इनके द्वारा गणित के क्षेत्र में ऐसे ही अनेकों महान कार्य किये गए थे जिसकी वजह से इनका नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित किया गया है। इन्होंने अपने कार्यो के द्वारा भारत के सम्मान में भी चार चाँद लगाया था।
इन्ही वजहों से भारत सरकार के द्वारा इनके जन्मदिन को राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में घोषित किया था जिससे की सम्पूर्ण भारतवर्ष अपने गौरवशाली इतिहास से प्रेरणा लेते हुए इसी तरह विकास के पथ पर अग्रसर रहे।
2 Comments
Excellent essay 👍👌
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