टेस्ट टीम में रोहित शर्मा के लिए आख़िरी मौक़े जैसी है दक्षिण अफ्रीका सीरीज़

रोहित शर्मा

रोहित शर्मा पर कोई भी बात करें उससे पहले दो तस्वीरें याद आती हैं. साल 2007-08 की बात है, भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर थी. रोहित शर्मा को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में क़दम रखे कुछ महीने ही बीते थे. वो वनडे टीम का हिस्सा थे.

सचिन तेंडुलकर भी उस सीरीज़ में खेल रहे थे. उस दौरे में एक ख़ास बात थी सचिन तेंडुलकर नेट्स में रोहित शर्मा के खेल पर पैनी नज़र रखते थे.
कई मौक़ों पर सचिन, रोहित शर्मा को अपने साथ इनडोर नेट्स के लिए भी ले जाते थे. इसके बाद सचिन तेंडुलकर के सौ अंतरराष्ट्रीय शतकों का जश्न मनाया जा रहा था. उस जश्न में हिंदी फ़िल्मों के कलाकार सलमान ख़ान भी थे.

सलमान ख़ान के हाथ में माइक था. उन्होंने कहा- सचिन का रिकॉर्ड अब कोई तोड़ नहीं सकता है. इस पर सचिन तेंडुलकर ने कहा कि इसी हॉल में दो ऐसे खिलाड़ी हैं जो उनके रिकॉर्ड को तोड़ सकते हैं.
उन्होंने विराट कोहली और रोहित शर्मा का नाम लिया था.
अब वर्तमान में आ जाते हैं. विराट कोहली इस वक़्त 68 शतक लगा चुके हैं. जबकि रोहित शर्मा के खाते में 34 शतक ही हैं. यानी विराट कोहली से ठीक आधे. शतकों का ये अंतर इसलिए है क्योंकि विराट कोहली ने टेस्ट और वनडे दोनों फॉर्मेट में जमकर रन बनाए हैं जबकि रोहित शर्मा टेस्ट क्रिकेट में ख़ुद को साबित नहीं कर पाए हैं.

अब रोहित शर्मा के पास एक बार फिर ये मौक़ा है कि वो टेस्ट क्रिकेट में ख़ुद को साबित करें. इस बार बड़ा फ़र्क़ ये है कि उन्हें सलामी बल्लेबाज़ का रोल मिलना तय है. जो उनके छह साल के टेस्ट करियर में पहली बार होगा.

ऐसे बनी है टेस्ट टीम में रोहित शर्मा की जगह

रोहित शर्मा वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ भी टेस्ट टीम का हिस्सा थे लेकिन उन्हें प्लेइंग 11 में मौक़ा नहीं मिला.
विराट कोहली ने रोहित से पहले केएल राहुल को मौक़ा दिया. केएल राहुल ने 4 पारियों में कुल 101 रन ही बनाए. इन मैचों में उनकी औसत 25.25 की रही.
लिहाज़ा विराट कोहली और टीम मैनेजमेंट उनके मोह से बाहर निकला और रोहित शर्मा को ज़िम्मेदारी देने का फ़ैसला किया गया.
ऐसा नहीं है कि रोहित शर्मा के करियर में ये मोड़ पहली बार आया है.

दरअसल वनडे क्रिकेट में भी उन्हें ये ज़िम्मेदारी विषम परिस्थितियों में ही दी गई थी. साल 2012 की बात है. महेंद्र सिंह धोनी टीम के कप्तान हुआ करते थे. भारतीय टीम श्रीलंका के दौरे पर थी. रोहित शर्मा का फॉर्म भी अच्छा नहीं चल रहा था. पिछली कुछ पारियों में वो दहाई के आंकड़े तक नहीं पहुंचे थे उन दिनों वो मिडिल ऑर्डर में बल्लेबाज़ी करते थे. यही वो वक़्त था जब वीरेंद्र सहवाग का करियर ख़त्म हो रहा था. ऐसे वक़्त में धोनी ने उन्हें टीम में बनाए रखने के लिए सलामी बल्लेबाज़ी की ज़िम्मेदारी सौंपी थी.

इसके बाद चैंपियंस ट्रॉफ़ी में रोहित शर्मा ने पहले ही मैच में दक्षिण अफ्रीका के ख़िलाफ़ अर्धशतक जड़ा. इसके बाद उन्होंने विंडीज के ख़िलाफ़ भी हाफ़सेंचुरी लगाई.
भारत ने उस साल चैंपियंस ट्रॉफ़ी का ख़िताब जीता.
रोहित शर्मा टीम के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ों की फ़हरिस्त में दूसरे नंबर पर थे. उन्होंने पाँच मैच में 177 रन बनाए थे. इसके बाद की कहानी इतिहास में दर्ज है. आज लिमिटेड ओवर क्रिकेट में तमाम लोग रोहित शर्मा को विराट कोहली से बड़ा बल्लेबाज़ मानते हैं. आज उनके नाम वनडे क्रिकेट में तीन दोहरे शतक का बड़ा रिकॉर्ड है. टेस्ट क्रिकेट में भले ही उनके खाते में इतने 'इंप्रेसिव' आंकड़े नहीं हैं. आपको बता दें कि रोहित शर्मा ने 12 साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में कुल 27 टेस्ट मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने 39.62 की औसत से 1585 रन बनाए जिसमें तीन सेंचुरी और 10 हॉफ़ सेंचुरी शामिल हैं. रोहित शर्मा ने आख़िरी टेस्ट मैच 2018 में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ एडिलेड में खेला था. जिसमें उन्होंने 68 रन बनाए थे.

लेकिन ये रोहित शर्मा के लिए आख़िरी मौक़ा होगा

हाल के दिनों में रोहित शर्मा को टेस्ट में ओपनिंग देने पर बहस की शुरूआत सौरव गांगुली ने की थी.
सौरव गांगुली ने ये बात अपने अनुभव के आधार पर कही होगी. कभी उन्होंने बतौर कप्तान यही फ़ैसला वीरेंद्र सहवाग के लिए किया था. जिसके बाद वीरेंद्र सहवाग का करियर अलग ही ऊंचाइयों पर गया. उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाज़ी की परिभाषा को ही बदल दिया. अपने तिहरे शतक को जब उन्होंने छक्के के साथ पूरा किया तो तमाम भारतीय क्रिकेटर्स अचंभित थे.



लेकिन वीरू का वही अंदाज़ भारतीय टेस्ट टीम के दबदबे की वजह भी बना. आज रोहित शर्मा को वही रोल दिया गया है. दक्षिण अफ्रीका की टीम को कमज़ोर नहीं कहा जा सकता लेकिन ऐसा भी नहीं होगा कि भारतीय पिचों पर रोहित शर्मा के लिए गेंदबाज़ ना खेलने लायक़ हों.

रोहित ने वनडे फ़ॉर्मेट की तरह ही क्रीज़ पर अगर थोड़ा वक्त बिता लिया तो वो बड़ी पारियां खेल सकते हैं. क्योंकि अगर घरेलू पिचों पर वो बड़ी पारियां खेलने से चूके तो ये भी तय है कि उन्हें आगे मौक़ा शायद ही मिले.

टीम इंडिया के लिए और कप्तान विराट कोहली के लिए भी अच्छा है कि रोहित शर्मा अपनी उपयोगिता साबित करें. विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के लिहाज़ से उनका होना टीम के लिए फ़ायदेमंद होगा.

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