चोरी या गुम हुए मोबाइल फोन को ढूंढने के लिए दूरसंचार विभाग ने शुक्रवार को नई व्यवस्था शुरू कर दी। इसके तहत मोबाइल पाने वाले व्यक्ति के सिम-कार्ड बदल देने के बाद भी फोन में किसी टेलीकॉम कंपनी का नेटवर्क नहीं आएगा। यानी वह चाहकर भी फोन का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। केंद्रीय दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मुंबई में नई व्यवस्था से जुड़ा वेब पोर्टल www.ceir.gov.in लॉन्च किया। इस पर लोग मोबाइल फोन चोरी या गुम होने की शिकायत दर्ज करा सकेंगे। सरकार ने सफल ट्रायल के बाद महाराष्ट्र में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लॉन्च किया है। पायलट प्रोजेक्ट की सफलता की समीक्षा के बाद दो-तीन महीने में इसे देश भर में उपलब्ध करा दिया जाएगा। फोन चोरी या गुम होने की सूरत में एफआईआर दर्ज करवानी होगी। इस एफआईआर के आधार पर दूरसंचार विभाग के हेल्पलाइन नंबर 14422 और वेब पोर्टल www.ceir.gov.in पर फोन खोने या चोरी होने की शिकायत की जा सकेगी।
किसी भी कंपनी का नेटवर्क नहीं पकड़ेगा
दूरसंचार विभाग शिकायत मिलते ही संबंधित फोन का आईएमईआई नंबर ब्लॉक कर देगा। आईएमईआई नंबर ब्लॉक होने के बाद फोन किसी भी मोबाइल नेटवर्क में काम नहीं करेगा। यानि एक तरह से वह किसी काम का नहीं रह जाएगा।
एक आईएमईआई नंबर पर चल रहे कई फोन ब्लॉक होंगे
टेलीकॉम विभाग ने जुलाई 2017 में मोबाइल ट्रैकिंग प्रोजेक्ट के तहत एक सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर यानी सीईआईआर बनाने का फैसला लिया था। यह आईएमईआई नंबरों का डाटाबेस है, जिसका मकसद मोबाइल फोन की चोरी और नकली फोन के धंधे को रोकना था। सीईआईआर के जरिए देश में एक ही आईएमईआई नंबर से चल रहे नकली फोन को भी ब्लॉक कर दिया जाएगा। यह सिस्टम चोरी या गुम हुए फोन पर मौजूद सभी तरह की सेवाओं को ब्लॉक कर देगा।
मोबाइल चोरी के खतरे
साइबर क्षेत्र के जानकार मोनिक मेहता के मुताबिक मोबाइल में बैंकिंग जानकारियों के साथ-साथ ई-वॉलेट भी होते हैं। ऐसे में मोबाइन फोन खोना एक पर्स चोरी होने के बराबर हो जाता। यही नहीं, चोरी के बाद सोशल मीडिया अकाउंट को हैक कर उसका गलत इस्तेमाल करने की भी आशंका रहती है। लिहाजा स्मार्टफोन पर जरूरी है कि सभी जरूरी एप्लीकेशन लॉक करके रखे जाएं।
तुरंत ट्रैक करना जरूरी
साइबर कानून के जानकार विराग गुप्ता ने ‘हिंदुस्तान’ को बताया कि इस योजना से पुलिस और दूसरी एजेंसियों के बीच तालमेल तो बढ़ेगा, लेकिन आम जनता व व्यवस्था के सामने चुनौतियां कम नहीं होंगी। एफआईआर और मोबाइल की बरामदगी के बाद अदालतों की जटिल प्रक्रिया बरकरार रहेगी। यही नहीं, मोबाइल का आईएमईआई नंबर भले ही ब्लॉक हो जाए, लेकिन चोरी के बाद उसके पुर्जे अलग-अलग कर बेचने के कई मामले आए हैं। लिहाजा जरूरी है कि पुलिस तंत्र फोन चोरी होने के बाद बिना समय गंवाए उसे ट्रैक करे। साथ ही अदालतों में मामलों का निपटारा जल्दी हो।
Input : Hindustan
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