निबंध लिखने का तरीका समझने से पहले यह जानना आवश्यक है कि “निबंध क्या है?” और उसके तत्त्व कौन से हैं व सफल निबन्ध की कसौटी क्या है? तत्पश्चात ही उच्च गुणवत्ता का निबन्ध लेखन किया जा सकता है।
निबंध क्या है?
निबन्ध लेखक अपने मन की प्रवृत्ति के अनुसार स्वच्छंद गति से इधर-उधर फूटी हुई सूत्र शाखाओं पर विचरता चलता है।
उपरोक्त परिभाषा से दो तथ्य तो स्पष्ट हो जाते हैं कि निबन्ध लेखक के मन की प्रवृत्ति के अनुरूप ही होना चाहिए और निबन्ध का लेखन स्वच्छन्द गति पर आधारित हो अर्थात निबन्ध लेखक के व्यक्तित्त्व को, उसके मानसिक चिन्तन को शत-प्रतिशत उजागर करता हो। यानी निबंध ऐसा लिखना चाहिए कि लेखक का चिंतन, वैचारिक स्तर, विषय पर उसकी स्वयं की विचारधारा स्पष्ट हो जानी चाहिए।
यानि हम कह सकते हैं कि-
निबंध, लेखक के व्यक्तित्व को प्रकाशित करने वाली ललित गद्य-रचना है।
इसके अतिरिक्त लेखक को नदी की धारा सम स्वच्छन्दता से बहना चाहिए, किसी अन्य के मत से प्रभावित हुए बिना। लेखक का व्यक्तिगत परिचय या स्वार्थ विषय-वस्तु को प्रभावित न करे- यह अत्यन्त आवश्यक है। ज़रूरी नहीं कि आप जो भी लिखें वो सभी को स्वीकार्य हो, ज़रूरी ये है कि आप निष्पक्ष हो कर लिखें क्योंकि निष्पक्षता ही किसी निबंध की प्रथम और अंतिम कसौटी है।
कुछ अन्य बातों की ओर भी निबन्ध लेखक का ध्यान हो, जैसे-
- पाठक को निबन्ध पढ़ते हुए सहभागिता का अनुभव हो
- लेखक के विचार पाठक को सरलता से समझ आने चाहियें
- जहाँ तक संभव हो लेखक के अनुभव पाठक को आप-बीते अनुभव हों
वस्तुतः किसी भी निबन्ध की सफलता इसी तथ्य पर निर्भर करती है कि पाठक उससे कितनी आत्मीयता अनुभव करते हैं।
निबन्ध कैसे लिखें?
मूलतः हमारा विषय यह था कि “निबन्ध कैसे लिखें“। एक आप-बीती बताती हूँ -शिक्षण जगत में प्रवेश किया ही था कि एक निराश कर देने वाला अनुभव हुआ। परीक्षा के पश्चात एक विद्यार्थी से परीक्षा संबंधित वार्तालाप करते हुए कहा,” निबन्ध छोड़ आया क्योंकि याद किया हुआ नहीं आया।” मैं अचंभित होते हुए उससे पूछ बैठी,” निबन्ध को भी याद करना होता है क्या?” उसने कोई उत्तर नही दिया।
काफी विचार-मंथन के पश्चात मुझे सम्पूर्ण शिक्षण-प्रक्रिया में यह खामी नज़र आयी कि हम शायद यह समझ ही नहीं पाए थे कि पाठ्यक्रम में निबन्ध-लेखन क्यों जोड़ा गया है। कक्षा में छात्रों का वाद-विवाद होने पर प्रायः यह कहा करती थी कि अगर अपने विचारों को स्पष्ट नहीं कर पा रहे और विवाद का हल हिंसा में खोजते हो तो सारी शिक्षण – व्यवस्था ही असफल है।विचारों को उचित तरीके से स्पष्ट कर पाने की कला को सीखना ही निबन्ध-लेखन का मूल मंतव्य है।
मित्रों, निबंध कैसे लिखें समझने के लिए यह जानना ज़रूरी है कि-
पाठ्यक्रम में निबन्ध – लेखन को क्यों समाहित किया गया :
1. विद्यार्थी अपने विचारों को एकत्र करना सीख पाए।
2. विचारों को संतुलित तरीके से व्यक्त कर पाएं।
3. भाषा को उपयुक्त रूप से प्रयोग करना सीख पाएं।
4. किसी भी विषय पर छात्रों के स्वयं के विचार हों।
5. उनका वैचारिक स्तर निश्चित हो सके।
6. संवेदनात्मक व वैचारिक स्तर पर परिपक्व हो सके।
7. वे अपने विचारों को सकारात्मक दिशा दे पाए।
8. अपने विचारों को दृढ़ता से रखना सीख सके।
9. आलोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित हो सके।
10.रटन्तू तोता न बन विचारशील प्राणी बन सके।
अब प्रश्न यह उठता है कि निबन्ध किस प्रकार लिखे जाने चाहियें।
निबन्ध लिखते हुए छात्रों को इन बातों पर ध्यान देना चाहिए-
1) निबंध के विषय पर अधिक से अधिक जानकारी एकत्र करें, इसके लिए आप इन्टरनेट और पुस्कालयों की मदद ले सकते हैं। आप अपने शिक्षक से भी विषय सम्बंधित किताबों या लेखों के बारे में जानकारी ले सकते हैं। यदि आप किसी परिभाषा या वक्तव्य को प्रयोग करना चाहते हैं तो उसे लिख लें और उसका स्रोत भी नोट कर लें। विशेषकर आपकी सोच को बल देती महापुरुषों की उक्तियाँ अवश्य लिख कर याद कर लें।
ध्यान रहे कि अध्यन करने के पीछे का उद्देश्य चीजों को रटना नहीं बल्कि अपने ज्ञान को बढ़ाना और अपनी एक सोच विकसित करना है।
2) पहले से लिखे उत्कृष्ट निबंधों का अध्यन करें। ऐसा करते हुए आपको एक अच्छे निबन्ध के प्रारूप को समझना है। यहाँ यह भी ज़रूरी नहीं कि आप उसी विषय पर निबंध पढ़ें जिसपर आपको खुद लिखना है, आप किसी भी विषय पर लिखा अच्छा निबंध पढ़कर अपना लेखन सुधार सकते हैं।
3) अपने विषय को लेकर आपने जो विचार बनाए हैं उसकी अपने मित्रों या परिवारजनों से चर्चा करें। चर्चा से निकले प्रमुख बिन्दुओं को नोट कर लें और सही हो तो उनका निबंध में प्रयोग करें।
4) निबन्ध लिखने से पहले उसकी एक रूपरेखा बना लें: आरम्भ, मध्य व अंत मे क्या-क्या लिखना है सोच लें और किसी अन्य पेज पर बुलेट पॉइंट्स में लिख लें।
5) निबंध की भाषा सरल व स्पष्ट हो।
6) लेखन शुद्ध , त्रुटि रहित हो।
7) रटा-रटाया न होकर मौलिक विषय-वस्तु हो।
8) अपने अनुभवों पर आधारित हो।
9) हर तथ्य क्रम में हो मसलन समस्या का अर्थ, कारण, दूर करने के उपाय ओर अंत मे उपसंहार-सभी बातें उचित क्रम में हों।
10) अनावश्यक विस्तार से बचें।
11) तथ्यों की पुनरावृत्ति न करें .
12) शीर्षक व उपशीर्षक को रेखांकित करें।
13) विषय से संबंधित किसी प्रसिद्ध कवि या महा-पुरुष की कोई उक्ति स्मृति में हो तो उसे अवश्य लिखें।
14) अंत मे दोबारा पढ़ कर उसमें आवश्यक सुधार करें और वर्तनी पर विशेष ध्यान दें।
इन तथ्यों को ध्यान में रखकर विद्यार्थी निबन्ध-लेखन में शत-प्रतिशत अंक ला सकता है। निबन्ध- लेखन सागर के समान गहरा अवश्य है पर उसमे उतरेंगे तो सफलता रूपी मोती अवश्य ही पाएंगे।
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