माना कि सावधान इंडिया बकवास प्रोग्राम है, लेकिन आपकी यह गलत बात है कि उसके आधार पर आप सुशांत सिंह के बारे में ऐसी अवधारणा बनाएँ, कि -
- सुशांत सिंह अक्ल से पैदल आदमी हैं, जो नागरिकता संशोधन बिल और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर को समझकर उसके बारे में विचार नहीं बना सकते,
- सुशांत सिंह को देश के मुद्दों पर चिंता नहीं हो सकती।
- छात्रों पर हुए ज़ुल्म को लेकर उनमें संवेदना नहीं हो सकती।
- उन्होंने अपनी आवाज़ खो दी है।
सावधान इंडिया जैसा प्रोग्राम रोज़गार के लिए करना पड़ता है यार। घर भी चलाना होता है। सावधान इंडिया कर लिया, तो ये थोड़े ना कोई बात हुई कि वे देश में जगह-जगह हो रहे विरोध में शामिल नहीं हो सकते।
वे एक बहुत अच्छे अभिनेता हैं, और उन्होंने अपनी चुप्पी को तोड़कर अच्छा किया। दिल की बात बोलनी चाहिए कभी तो। उन्होंने कहा है कि सावधान इंडिया से निकाला जाना बोलने की आज़ादी के लिए "छोटी सी कीमत" है।
अब ऋचा चड्ढा पर सवाल मत करना, कि वे विरोध में क्यों कूद पड़ी।उसका भी यही जवाब होगा, कि उन्हें ये कानून देश-विरोधी लग रहा है। और उन्हें करियर को लेकर इतना डर नहीं लग रहा होगा, कि चुप रहें।
अब अगर आप कहें कि किसी के भी विरोध करने वाली कौनसी बात है, तो आराम से यह 11 मिनट की पूरी वीडियो देख लीजिए। उम्मीद है कि आप भी समझ पाएँगे -
तसवीरें साभार गूगल।
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