ये कहानी मेरे एक दोस्त के बहन की है.
मैंने जेईई एडवांस को 2015 में अविश्वसनीय रूप से शानदार रैंक के साथ क्वालिफाई किया था, लेकिन अपनी छोटी सी गलती के कारण लगभग 4 साल तक जेल में रही।
रिजल्ट वाले दिन मैं बहुत खुश थी। रिश्तेदारों, माता-पिता, पड़ोसियों, शिक्षकों और दोस्तों सभी ने मुझे बधाई दी थी।
मैं उस समय 18 साल का थी।
मैं जैसे बादलों में उड़ रही थी, मेने अपने प्रियजनों द्वारा सभी बधाई, उपचार और तालियों का आनंद लिया।
कुछ दिनों के बाद मैंने सोचा कि आज पापा की कार चलाई जाये, जब वह घर पर नहीं थै।
में नहीं समझ पायी की में अपने जीवन की सबसे बड़ी गलती करने जा रही हूँ, जो कि मेरे पूरे करियर को ख़त्म कर देने वाली थी।
मुझे इस बारे में अधिक जानकारी नहीं थी कि कार को कैसे चलाना है, लेकिन मेने कई बार कार ड्राइवर्स को कार चलाते हुए ऑब्ज़र्व किया था, और 1-2 बार अपनी दोस्त की गाड़ी मैदान में भी चलायी थी।
जब मेरे पापा ऑफिस गए, तो मैंने कार स्टार्ट की और कहीं दूर निकल गयी।
मैं सफलता के सपनों में मदहोश थी, मुझे लग रहा था जैसे, मैं सब से बेहतर हूं।
यह मेरी सबसे बड़ी भूल थी।
में 50 km/h की स्पीड से गाडी चला रही थी की तभी अचानक एक छोटी बच्ची मेरी कार के सामने आ गयी, और इससे पहले में कुछ समझ पाती और जब तक मेने ब्रेक लगाया, वह बच्ची मेरी कार से टकरा चूकी थी|
लेकिन यह उसकी गलती थी, वह मेरी कार के सामने आ गयी थी, वह लगभग 9 साल की थी, कम से कम उसे पता होना चाहिए, कि सड़क पार करने से पहले उसे दोनों तरफ देखना चाहिए की कोई गाड़ी तो नहीं आ रही।
वह एक गरीब परिवार से लग रही थी, वह सड़क पर अकेली था, कोई माता-पिता, या सम्भंदि कोई भी उसके साथ नहीं था।
पब्लिक ने सड़क को घेर लिया, पुलिस को बुलाया गया, मेरे पिता की कार को ट्रैफिक पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
मुझे वहां मौजूद लोगो के द्वारा बोहत बुरा भला कहा गया। लोगों ने ऐसी मानसिकता बना ली है कि जो भी दोषी हो लेकिन गाड़ी चलने वाले को हमेशा दंडित किया जाना चाहिए। जैसे की गाड़ी चलने वाले को लोगों को ठोकने में मज़ा आता है|
वहां भीड़ इकठा हो गयी थी
जिस स्थान पर दुर्घटना हुई वह मेरे घर से करीब 20 किमी दूर था।
बाद में उस बच्ची को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे डायगनोस(Diagnose) किया गया और पता चला की उसके शरीर के ज्यादातर हिस्से ख़राब हो चुके हैं। उसके हाथ, पैर सिर बुरी तरह से जख्मी हो गए थे।
कोर्ट ने मुझे 4 साल कैद की सजा सुनाई और विक्टिम के परिवार को मुआवजा देने के लिए कहा गया। मुझे बेरहमी से जेल में भेज दिया गया था, किसी ने मेरे अंक और IIT में चयन के बारे में कोई बात नहीं की।
यह ईश्वर की कृपा थी कि कार से बच्ची की मौत नहीं हुई वरना मैं अभी भी जेल में ही दम तोड़ रही होती। मैं इसके लिए भगवान का शुक्रिया अदा करती हूं।
लेकिन मेरा करियर अब नष्ट हो गया है। कुछ महीने पहले ही मुझे छोड़ा गया। अब मेरी उम्र 23 है और मैं सिर्फ 12 वीं कक्षा पास हूँ। फिर भी मेरे पिता अभी भी मेरे लिए सपोर्टिव हैं, फिर भी उन्होंने मुझे अपने जीवन में महान काम करने के लिए प्रेरित किया।
मेरे पिता को मेरी वजह से कई बुरे दिन देखने पड़े। मेरे पिता को पीड़ित के परिवार को मुआवजे के रूप में 5 लाख रुपए देने पड़े, और अदालत को फाइन भरना पड़ा। दुर्घटनास्थल पर हमारी कार को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया था और लोगों द्वारा उसे तोड़ भी दिया गया था। इन 4 वर्षों में, मैं एक सफल आईआईटीयन थी लेकिन मेरी एक गलती की वजह से ऐसा नहीं हुआ!
लेकिन अब मुझे बेहतर भविष्य की उम्मीद है। मैं उन कष्टों को व्यक्त करने में असमर्थ हूं जिनसे मुझे गुजरना पड़ा, जो भोजन मुझे परोसा गया था, मुझे जेल में जो उपचार दिया गया था वह दयनीय था। मैं अपने सपनों में भी नहीं सोच सकती थी कि मेरे साथ ऐसा होगा, यहां तक कि 9 वीं के बाद लगभग 3 साल तक IIT के लिए संघर्ष करने के बाद भी मुझे इन यातनाओं का सामना करना पड़ेगा। जेल के अंदर मेरे साथ बुरा व्यवहार किया गया। मैं डिप्रेशन में चली गयी थी, हताश थी, साथ ही साथ आत्महत्या के बभी विचार मेरे दिल में आ रहे थे।
मैं हमेशा दिन गिनती रहती थी और हमेशा बाहरी दुनिया को देखने की ख्वाहिश करती थी। हर समय जेल के अंदर रहना किसी नरक में रहने से कम नहीं था। अब मैं राहत महसूस कर रही हूं, मैं रोती भी हूं कभी-कभी इन पिछले 4 वर्षों के बारे में सोचकर। मेरे जीवन के केवल 1 मिनट ने मेरे जीवन को नरक बना दिया था|
लेकिन जेल में रहने के दौरान मुझे अपनी गलतियों का एहसास हो गया था, कि मेरे तो सिर्फ 4 साल ही ख़राब हुए थे लेकिन उस बच्ची की तो पूरी जिंदगी हि ख़राब हो गयी थी| में मानती हूँ कि अगर मेरी जगह कोई परफेक्ट गाड़ी चलाने वाला भी होता और अगर वह बच्ची अचानक सामने आ जाती तो वह भी कुछ नहीं कर पाता| जानती हूँ की इतनी छोटी बच्ची को भला ट्रैफिक नियमों के बारे में क्या पता होगा| लेकिन गलती उस बच्ची के माँ-बाप जैसे लोगों की होती हे जो इतने छोटे बच्चों को सड़क पर जाने देते हैं| उन्हें सही एजुकेशन नहीं देते, लापरवाह होते हैं|
खैर, लेकिन मेने सोच लिया था कि में हमेशा उस बच्ची से मिलती रहूंगी और उसकी हर जरूत का ख्याल रखूंगी|
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