सरकारी विद्यालय किन मामलों में प्राइवेट स्कूलों से बेहतर है आपको भी लग रहा होगा कि मैने यह सवाल कहीं उल्टा तो नहीं पूछ लिया क्योंकि कहा सरकारी विद्यालय और कहा प्राइवेट स्कूल ।
आम नजरिए से देखा जाए तो हमेशा प्राइवेट स्कूल सरकारी विद्यालय से बेहतर ही पाए जाएंगे और में भी इस विचारधारा को झुठला नहीं रहा हूं पर एक मेरा अलग नजरिया जो मैने अभी वार्षिक शिक्षा सूचकांक कि रिपोर्ट की बारीकियों को देख कर बनाया उसी के माध्यम से कुछ जरूरी जानकारी साझा करना चाहूंगा ।।
प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर प्राइवेट स्कूल सरकारी विद्यालय से बेहतर
हां यही सच भी है कि प्राइवेट स्कूल इस आंकलन में कहीं ज्यादा बेहतर है सरकारी विद्यालय से पर क्या आपको भी लगता है कि यह एक बराबर की टक्कर थी तो इसका एक मूल्याकंन यह भी था कि प्राइवेट स्कूल और सरकारी विद्यालय में पहली कक्षा में बच्चो को कुछ शब्द याद करने होते है जिसमें २१% सरकारी विद्यालय के बच्चे और ४६ फीसदी बच्चे प्राइवेट स्कूल के सफल हुए पर इस रिपोर्ट में कुछ ऐसे खास बिंदु भी दर्शाए गए जो बताते है कि इस सबके कुछ विशेष कारण थे जिनमें मुख्य रूप से
प्राइवेट स्कूल में प्रवेश की उम्र सरकार द्वारा न्यूनतम ६ वर्ष की गई है जबकि सरकारी विद्यालय में प्रवेश की उम्र निर्धारित ना करने के कारण यह ४-५ वर्ष के बीच में ज्यादा पाई जाती है जिसके कारण भी सरकारी विद्यालय के बच्चे प्राइवेट स्कूल से पिछड़े हुए दिखाई पड़ते है ।
- प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे किसी शिक्षित परिवार से आते है इस वातावरण का भी बच्चे के विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है जबकि सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे कभी कभी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में भी रहते है ।
- प्राइवेट स्कूल में प्रवेश से पूर्व ही अभिभावक बच्चों को प्ले ग्रुप स्कूल में रखते है जहां इनका मानसिक और शैक्षणिक विकास हो जाता है जबकि सरकारी विद्यालय में उनका दाखिला सीधे करवा दिया जाता है ।
इन सब आधार को भी अगर मूल्यांकन में शामिल किया जाए तो आंकड़े इतने खराब दिखाई नहीं देंगे जितने सरकारी विद्यालय के दे रहे है इसके अलावा बेहतरी की बात की जाए तो
फीस
सरकारी स्कूल फीस के मामले में प्राइवेट स्कूल से काफी सस्ते व देखा जाए तो करीब करीब मुफ्त शिक्षा ही देते है जो की गरीब और एक निम्न तबके के लोगों के लिए एक बेहद कारगर योजना है ।।
मानसिक दबाव कम होना
सरकारी स्कूल में बच्चों पर अतिरिक्त दबाव कम ही बनाया जाता है जबकि प्राइवेट स्कूल में इस दबाव के कभी कभी कुछ विपरीत परिणाम भी देखने को मिलते है ,हालाकि सभी मामलों में यह कहना नहीं है कभी कभी यही दबाव कुछ अच्छी प्रतिभा को भी जन्म देता है ।।
सभी बातो से अगर निष्कर्ष निकाला जाए तो यही लगता है कि अगर सरकार चाहे और इनकी बेहतरी की जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभाए तो कोई भी सरकारी विद्यालय पिछड़ा हुआ नहीं पाया जाएगा इसका प्रत्यक्ष उदाहरण अरविंद केजरीवाल की सरकार द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति है जिससे दिल्ली के सरकारी विद्यालय भी प्राइवेट स्कूल से कम नहीं लगते ।।
दिल्ली सरकारी विद्यालय
धन्यवाद् ।।
जय हिंद जय भारत ।।
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