क्या हम कुछ सेकण्ड्स तक सांस रोक सकते हैं? उस अवधि के दौरान वातावरण को क्या होगा? पेड़ पौधों का क्या होगा? चलिए एक एक करके उत्तर जानते हैं।
सामान्य मनुष्यों पर प्रभाव:- एक आम मनुष्य 30 सेकण्ड्स तक सांस रोक सकता है। अगर 4–5 सेकण्ड्स मान ले तो हमे तो पता ही नहीं पड़ेगा कि ऑक्सीजन गायब हुई थी। पर जरा रुकिए, इतनी भी राहत की बात नही हैं। असली पिक्चर अभी बांकी है क्योंकि 2 सेकण्ड्स के लिए भी ऑक्सीजन गायब होने का मतलब है पृथ्वी की मानव जाति का समूल विनाश। कैसे?? देखते हैं।
बाह्य दुनिया पर प्रभाव:- अगर आपको लग रहा है कि बाकी चीज़ों को भी कोई फर्क नही पढ़ेगा तो आप गलत हैं।
ऑक्सीजन गायब होते ही जितनी भी सीमेंट से बनी चीज़े हैं वो धूल में मिल जाएंगी, क्योंकि ऑक्सीजन सीमेंट/कंक्रीट में एक तरह से फेविकोल का काम करता हैं। इसका नजारा कुछ इस तरह होगा।
बस इस इंसान को हटाकर कोई बिल्डिंग, पुल, डैम, मकान आदि रख दीजिए। (बिल्कुल इंफिनिटी वॉर के सीन जैसा जहां हमारे सारे प्यारे किरदार धूल में बदल गये थे..)
अब आप अंदाजा लगाइये जिस सड़क पर आप खड़े है वो गायब हो गयी,
जिस मकान में आप रह रहे थे वो धूल बन गया,
पुल से, बहुमंजिला घरों से, फ्लाईओवर से, पार्किंग स्टेशनों से हजारों की संख्यां में गाड़ियां गिर रही हैं।
लोग गिर रहे हैं। मकानों की नींव तक गायब हो गयी हैं।
एक सेकंड में अरबो लोग काल के गाल में समा जायँगे।
1 सैकंड से भी कम समय मे सारी धातुएं से बनी चीज़े और कच्ची धातुएं फ्यूज हो जाएंगी यानी एक दूसरे में मिल जाएंगी। क्योंकि ऑक्सीजन धातुओ के साथ ऑक्साइड बनाता है जो कि धातुओ की क्रिया शीलता कम करता है।
सब कुछ एक दूसरे से क्रिया करने लगेगा और कोई नही कह सकता कि कौनसा नया पदार्थ बनने लगेगा। और कौनसा पदार्थ आग पकड़ लेगा, कौन सा पदार्थ परमाणु बम की तरह फटेगा.. ये अलग बात है कि जब ऑक्सीजन ही नही तो जलेगा कैसे।
बिना ऑक्सीजन के ओजोन परत गायब हो जाएगी, और जितनी भी जीवित वस्तुएं है धूप के संपर्क में आएंगी,वो जल के नष्ट हो जाएंगी। अगर आप उस समय धूप सेंक रहे होंगे तो हो सकता है आपकी हालात माइक्रोवेव में सिकने वाले पॉपकॉर्न की तरह हो जाये।
चूंकि सीमेंट के घर तो पहले ही गायब हो चुके होंगे तो आप अपना सिर किधर छुपाओगे क्योंकि पेड़ भी सीधी किरणों के सम्पर्क में आते ही धूल बन जायँगे।
जितने भी बीमार लोग वेंटिलेटर पर कृत्रिम रूप से ऑक्सीजन ले रहे हैं वो भी तुरंत मर जाएंगे। क्योकि उनके लिए 2 सेकंड भी बहुत होते हैं।
ऑक्सीजन के गायब होने का मतलब है 21% वायु गायब होना.. इतनी हवा गायब होने से आपके कान की ग्रंथियां और नाक की ग्रंथियां फट जायँगी।
हो सकता है आप ब्रेन स्ट्रोक से मार दिए जाएं। 1 सेकंड के ही अंदर आप ऐसा दवाब महसूस करेंगे कि आपको समुद्र में 2000 मीटर अंदर छोड़ दिया हो। जगह जगह से खून बाहर निकलने लगेगा। आप दर्द से ही दम तोड़ देंगे।
बिना ऑक्सीजन के इंजिन काम नही करेंगे और करोड़ो अरबो वाहन तुरंत रुक जायँगे। लाखो किलोमीटर का जाम लग जायेगा।
जितने भी प्लेन हवा में होंगे वो फौरन नीचे गिरने लगेंगे। और हो सकता है प्लेन की धातुएं आपस मे क्रिया कर लें और हवा में ही किसी और यौगिक में परिवर्तित हो जाएं। इस स्थिति में जितने भी लोग हवा में होंगे सीधे भगवान के पास लैंड हो जाएंगे।
आखिरी और सबसे खतरनाक घटना।
चूंकि पृथ्वी की सतह भी लगभग 40% ऑक्सीजन से बनी है तो ये अंदर ही अंदर धसना शुरू हो जाएगी।
कुछ भी चीज़ जो बच गई हो वो सब पृथ्वी की कोर यानी केंद्र के तरफ गिरने लगेंगी। चूंकि केंद्र का तापमान बहुत ज्यादा है तो हर चीज़ जलने लगेगी। हर वस्तु हर चीज़ जो भी बच गयी होगी वो कॉलेप्स हो जाएगी.
चूंकि पानी भी गायब हो जाएगा, तो आप जिंदा बच भी गए तो कुछ पीने को नही बचेगा। आपके शरीर से ऑक्सीजन गायब हो जाये और शरीर का निर्जलीकरण यानी डिहाइड्रेशन हो जाये तो ज्यादा समय तक जिंदा रहना असंभव है।
कहने का मतलब है अगर कुछ सेकण्ड्स के लिए भी ऑक्सीजन गायब हो जाये तो सब कुछ तबाह हो जाएगा।
हां लेकिन हो सकता है कि इतना सब होने के बाद भी अगर आप एवरेस्ट जैसी ऊंचाई पर हो तथा किसी तरह धूप से बच जाए, इस दौरान आप अपनी 21% ऑक्सीजन का उपयोग करके जिंदा बच सकते हैं। खैर ये मजाक था। इस घटना से आपका बचना मुश्किल है।😂
विश्व का सारा पानी (H2O) सूख जाएगा। और मानव शरीर से भी पूरा पानी और अन्य इकाई एमिनो एसिड्स प्रोटीन्स विटामिन्स फैट सब धूल में मिल जाएगा
सुझाव और आपके विचार आदर सहित आमंत्रित है।
Image Source- Public Domain Images
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