- 9 जुलाई 2019 को इंडिया वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में न्यूज़ीलैंड के हाथों हार जाती है और इसका मतलब इंडिया वर्ल्ड कप से बाहर। सवाल उठने लगे टीम सेमीफाइनल में क्यों और कैसे हारी। किसी के सर ठीकरा तो फूटना ही था और फूटा किसके सर..... धोनी के सर। सवालों की बौछारें लगना शुरू हो गईं। धोनी 7वें नंबर पर बैटिंग करने क्यों आए? धोनी रन आउट क्यों हो गए? फिर दौर शुरू हुआ मदर ऑफ अल्ल क्वेस्शन्स का- धोनी को क्रिकेट से संन्यास ले लेना चाहिए।
यहां दो सवाल है पहला, क्या धोनी सेमीफाइनल में जानबूझकर रन आउट हो गए? जो उनकी इस तरह आलोचना हो रही है और दूसरा, क्या धोनी ने अकेले फैसला लिया होगा कि वो 7वें नंबर पर बैटिंग करेंगे? यह कहना कि धोनी जानबूझकर रन आउट हो गए, इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता। 7वें नंबर पर आने का फैसला टीम ने लिया होगा ना कि अकेले धोनी ने। फिर धोनी को अकेले सेमीफाइनल के हार के लिए जिम्मेदार ठहराना कहां तक उचित है?
जिस धोनी ने अपनी कप्तानी में टीम इंडिया के लिए 2007 वर्ल्ड टी20, 2011 वर्ल्ड कप और 2013 चैंपियंस ट्रॉफी जीता हो और इतना ही नहीं जिस धोनी ने भारत को तीनों फॉर्मेट (टी20, ओडीआई और टेस्ट मैच) में नंबर वन कंट्री बनाया हो जो अपने आप में एक महान कीर्तिमान है। क्या कोई इस कीर्तिमान को नकार सकता है?
प्रकृति की दास्तान है कि यदि किसी चीज की शुरुआत हुई है तो उसका अंत जरूर होगा। उसी प्रकार हर खिलाड़ी एक न एक दिन खेल से संन्यास लेता है, लेकिन संन्यास कब लेगा और कैसे लेगा? ये तो संन्यास लेने वाला खिलाड़ी ही तय करेगा ना कि हम और आप। धोनी क्रिकेट से संन्यास कब लेंगे इसका फैसला सिर्फ धोनी ही करेंगे और धोनी के निर्णय को सम्मान करना हर क्रिकेट प्रेमी का कर्तव्य बनता है। कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं कि भारतीय क्रिकेट धोनी का हमेशा ऋणी रहेगा जिन्होंने क्रिकेट के माध्यम से देश का सर हमेशा ऊंचा बनाए रखा।


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