क्या आपने किसी mountainer को पहाड़ पर ऊपर चढ़ते हुए देखा है? क्या वो अपने साथ भारी-भरकम बोझा लेकर ऊपर चढ़ता है या सिर्फ ज़रुरत की चीजों के साथ आगे बढ़ता है?
Definitely, वो सिर्फ उन चीजों को लेकर ऊपर चढ़ता है जो ज़रूरी हैं और उसके ऊपर चढ़ने में सहायक हैं.
क्या हो अगर वो फालतू की चीजें भी अपने ऊपर लोड कर ले?
तब क्या वो ऊपर चढ़ पायेगा? क्या वो उस ऊँचाई को हासिल कर पायेगे जिसे वो छूना चाहता है?
नहीं कर पायेगा न!
यही बात हमारी ज़िन्दगी में भी लागू होती है. अगर हमें ऊपर… बहुत ऊपर उठना है… हमें अपने बिजनेस में number 1 बनना है… हमें अपनी जॉब में excel करना है… हमेंअपनी कम्पनी का best salesman बनना है… अपनी class में फर्स्ट आना है… अपने खेल में माहिर बनना है… तो हमें अपने ऊपर से फ़ालतू चीजों का बोझा हटाना होगा!
फ़ालतू चीजें? कौन सी फ़ालतू चीजें?
ध्यान देंगे तो आपको कई ऐसी चीजें नज़र आ जायेंगी जो फ़ालतू हैं…जो आपको ऊपर उठने से रोकती हैं…
आपके नकारात्मक विचार… आपका आलस…आपके अन्दर का डर… अपने भीतर झाकिये तो सही आपको ऐसी कई बेकार की चीजें दिख जायेंगी जिनसे अगर आप छुटकारा पा लें तो आपको शिखर पर पहुँचने से कोई रोक नहीं पायेगा!
क्या ये करना आसान है?
नहीं, आसान होता तो सब शिखर पर होते…और फिर शिखर की कोई value ही नहीं रह जाती.
ऐसा करना आसान नहीं है…बल्कि कहना चाहिए कि ऐसा करना मुश्किल है…. क्योंकि हम बरसों से life के एक set pattern में बंधे हुए हैं… हमारा सोचने का एक तरीका है… काम करने की एक आदत है…ये सब रातों-रात नहीं बदला जा सकता…पर ज़रूरी इस बात को समझना है कि-
इसे बदला जा सकता है!
इसे बदला जा सकता है कि हम कैसे सोचते हैं… इसे बदला जा सकता है कि हम कितनी मेहनत करते हैं…इसे बदला जा सकता है कि हम कितनी हिम्मत दिखाते हैं… और अगर आप आज तक उस चोटी पर नहीं पहुंचे जिसपर पहुंचना चाहते हैं तो आपको इसे बदलना ही होगा… वरना-
अगर आप अभी भी वही करते रहे जो आज तक करते आये हैं तो आपको अभी भी वही मिलता रहेगा जो आज तक मिलता आया है…
क्या आपको ज़िन्दगी भर dissatisfied रहना है? क्या आपको इस दुःख के साथ चले जाना है कि जो चाहा वो किया नहीं या इस ख़ुशी के साथ जीना है कि मैं जो चाहता हूँ वो पा कर रहता हूँ.
ज़िन्दगी रूपी mountain के शिखर पर पहुँचने के लिए आपको भी खुद को हल्का करना होगा…. मिटाना होगा अपने अन्दर की नकारात्मकता को… ख़तम करना होगा उस आलस को जिसने आज तक आपको रोके रखा है… हराना होगा उस डर जो आपको अपने दिल की आवाज़ सुनने से रोकता है… एक बार ऐसा करके देखिये और फिर आप जान पायेंगे कि सचमुच ये ज़िन्दगी कितनी खूबसूरत है!
शायद आप सोच रहे हों कि ये किया कैसे जाए?
जानते हैं… ये सब पढने के बाद बहुत से ऐसे लोग होंगे जो यही सोचेंगे… और उसके बाद क्या होगा?
कुछ नहीं…वही पुरानी रुटीन…वही पुरानी लाइफ…वही mediocrity…वही बोझ, जिसे लादे-लादे वे अपनी ज़िंदगी गुजार देंगे….लेकिन कुछ एक ऐसे होंगे जो इस प्रश्न कि, “ये किया कैसे जाए?” को यूँही नहीं जाने देंगे.
वे अपना उत्तर ढूंढेंगे…वे अपने garbage load को unload करने का कोई न कोई तरीका ज़रूर ढूंढ निकालेंगे….वे इस बात की शिकायत नहीं करेंगे कि उन्हें कोई readymade तरीका नहीं दिया गया…बल्कि वे ईश्वर को धन्यवाद देंगे…कि उन्होंने किसी माध्यम से उनके अन्दर ज़िन्दगी के शिखर पर पहुँचने की चिंगारी जलायी!
और एक दिन वे ज़रूर उस शिखर पर पहुँच जायेंगे जहाँ से दुनिया बड़ी खूबसूरत दिखती है!
चलिए…शिखर पर मिलते हैं!
All the best!
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