मै सबूत के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री केजरीवाल और सरकार की तारीफ करने वाले समस्त मीडिया की कड़ी निंदा करता है और ये इल्जाम लगाता है कि देश पर आये संकट की इस घड़ी यें सब मिलकर आम जनता को धोखा दे रहे हैं।
केजरीवाल:
आज लगभग एक माह का समय गुजरने के बाद भी राजधानी दिल्ली का हाल ये है कि सरकार के पास दिल्ली में रहने वाले लोगों के एक विशाल वर्ग के लिये कोई पुख्ता योजना नहीं है। केजरीवाल पिछले एक माह से गरीब और जरूरतमंदों की पहचान करने के काम में व्यस्त है और रोज नये नये डायलॉग लेकर टी वी पर आ रहे हैं।
विलक्षण बुद्धि श्रीमान केजरीवाल जी कभी विधवाओं की तो कभी वृद्धों की तो कभी मजदूरों की तो कभी ड्राइवरों की तो कभी झुग्गी झोंपड़ी वालो की तो कभी भूखों की तो कभी राशन कार्ड वालो की तो कभी बिना राशन कार्ड वालो की गिनती करते है। कभी 4 लाख भूखों को 500 स्कूलों में खाना खिलाने की बात तो कभी राशनकार्ड वालो को डेढ़ गुना राशन तो कभी बिना राशन कार्ड वालो को 5 किलो गेहूं तो कभी चावल देने की बात करते है।
केजरीवाल जी पिछले एक माह से उच्चस्तरीय गणित के जरिये ढूंढ ढूंढ कर गरीबों को खोज रहे हैं जबकि कड़वी सच्चाई ये है कि दिल्ली सरकार की वेबसाइट पर फ्री राशन का इकलौता लिंक केवल दो दिन एक्टिव था उसके बाद से आज तक ये लिंक डैड है। पाठको को बता दूं कि चंदा मांगने का लिंक पूरी तरह से एक्टिव है और पे टी एम् से लेकर डेबिट, क्रेडिट, नेट बैंकिंग, भीम एप .. करीब आधे दर्जन तरीकों से चंदा दे सकते हैं।
मीडिया व् मोदी:
"अमिताभ बच्चन कैसे कविता पढ़ कर, कैटरीना कैफ कैसे बर्तन मांझकर, सलमान खान कैसे अपने भांजे के साथ मस्ती करके, वरुण धवन कैसे एक्सरसाइज करके… घर पर समय बिता रहे है। मोदी कैसे विश्व में सम्मान पा रहे है, ट्रंप ने कैसे मोदी की तारीफ की है…। पुलिस किस प्रकार देवताओ से बढ़कर परोपकारी हो चुकी है, डॉक्टर किस प्रकार ब्रह्मा विष्णु महेश से बड़े पालनहार हो चुके है, मोदी जी देशवासियों के लिये कितने ज्यादा दुखी है, गरीब प्रवासी मजदूर और उनके बीवी बच्चे कैसे मानवता के दुश्मन बन चुके है जो इधर से उधर भागकर कोरोना वायरस को फैला रहे है और पुलिस के डंडों से भी नहीं डर रहे है.." - केवल इसी प्रकार की न्यूज 24 में से 20 घंटे चल रही है।
कोई न्यूज चैनल ये दिखाकर राजी नहीं कि जो लोग बेरोजगार हो चुके है और जो रोज कमाते रोज खाते थे, उनके लिये क्या प्रबंध सरकार ने किया है, कितने लोगों को कितनी मदद दी गयी है और उसके आंकड़े क्या हैं, कितने लोगों का इंटरव्यू अभी तक न्यूज़ चेनल्स पर आया है, चंदा कितना इकठ्ठा हो गया है, सरकारी मदद और चंदे की राशि का कितना भाग कितने जरुरतमंदो के ऊपर किस रूप में खर्च किया गया है। 100 तरह के रोजगार और 100 तरह की नौकरी लोग करते है।
क्या चुन चुन कर या कुछ एक दर्जन नौकरियों या व्यवसायों के रजिस्टर्ड गरीबों की पहचान करने का प्रयास और उससे कहीं ज्यादा उस प्रयास का ढोल पीटना ही सरकार का काम रह गया है। मै आपको 100 फीसदी गारंटी देता है कि इस महामारी के बाद सरकारी आंकड़े 5000 से 10000 प्रति व्यक्ति मदद के दिखाये जायेंगे और कुल मदद का 70 फीसदी उन कार्यों के लिये खर्च होना बताया जायेगा जिनका कोई सीधा सम्बन्ध किसी गरीब को दी गयी धनराशि से नहीं होगा।
सभी ऐसे पाठकों को जो मोदी को महामानव मानते है,मेरा खुला चेलेंज है कि वें केवल एक, केवल एक ऐसा कांटेक्ट (फोन नंबर, व्हाट्सअप नंबर, ईमेल एड्रेस, डी एम, पार्षद, एम् एल ए, एम् पी, मंत्री, मुख्य मंत्री, प्रधानमंत्री, मीडिया, एन जी ओ, राज्य सरकार- केंद्र सरकार की कोई वेबसाइट या हेल्पलाइन .. किसी का भी) ढूंढकर दिखाएँ जिससे मदद हासिल करके एक भूखा, गरीब परिवार राशन हासिल कर सके।
चेतावनी:- केवल वही लोग टिप्पणी दें जो इस जवाब में लिखी बातों को सबूत के साथ काटने की सामर्थ्य रखते हैं।
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