क्या सच में ज़ी न्यूज़ गलत खबर (फेक न्यूज़) दिखाता है?

ज़ी न्यूज़ ज़ाहिर तौर पर कई लोगों के पसंदीदा चैंनलों में से एक है, इसलिए कुछ लोग आहत होंगे, अग्रिम माफ़ी (खैर इससे क्या होगा)। ज़ी न्यूज़ के प्रमुख एडिटर जब सीना तान कर बोलतें है और राष्ट्रवादी होने का दावा करते है तब सच पुछिये तो मन में यही सवाल आता है क्या है राष्ट्रवाद? जब आप कहते है कि देश हमे देखकर अपना मत बनाता है तो मूझे ये विश्वास तो रहता है कि आप यथार्थ कह रहे लेकिन क्या वाकई आप सबकुछ देशहित में दिखाते है? अगर हां तो कुछ उदाहरण दिखाता हूँ
इसके पीछे की कहानी क्या है संक्षेप में समझते है। ज़ी न्यूज़ ने फिर से गलत खबर दिखाई लेकिन उसे तबतक नहीं पता था जब तक भाजपा के नेता और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू जी और आईपीआर अरुणाचल प्रदेश ने ध्यान आकर्षित किया।
हिंदी में :यह स्पष्ट करना चाहते है कि अरुणाचल प्रदेश में अब तक केवल एक Covid-19 केस की पुष्टि हुई है। ज़ी न्यूज़ की रिपोर्टिंग गलत है और इसकी कोई प्रामाणिकता नहीं है।
तो जैसा कि आप पढ़ पा रहे है कि ज़ी न्यूज़ ने झूठी खबर दिखाई। वैसे बीजेपी नेता पेमा खांडू जी धन्यवाद के पात्र है जिन्होंने तत्परता दिखाई।
चलिए अब कुछ दिन पहले की बात करते है जब ज़ी समूह ने एक ओर गलत खबर ट्वीट की थी।
फ़िरोज़ाबाद पुलिस को कैसे चेतावनी देनी पड़ी की ज़ी उत्तरप्रदेश अपना फ़र्ज़ी ट्वीट तत्काल डिलीट करे। खैर यहाँ डिलीट वाला विकल्प था तो झट से हटा दिया लेकिन माफ़ी नहीं मांगी। लेकिन ये सोशल मीडिया है बस आईटी सेल वाले इसमें नहीं तैरते है कुछ और लोग भी है जो रिकॉर्ड रखते है आपके कारनामों का
अब ये मानवीय भूल एक जैसी ही क्यों होती है हमेशा? इसका बड़ा सीधा सा जवाब है एक समुदाय ने गलती की है चलो उसके बारे में आपने दिखाया बहुत अच्छी बात है। लेकिन ये फ़र्ज़ी राष्ट्रवादी चैनल इसी गलती के इंतज़ार में रहते है ताकि अपना मिर्च मसाला लगा कर कुछ और ज़हर परोस सके। आप किसी एक पक्ष के समर्थक है इसमें भी कोई आपत्ति नहीं क्यों आज के दौर में निष्पक्ष है कौन? पर ये गलत खबर दिखाकर किस तरह का राष्ट्रवाद और दूसरों को कहते है डिज़ाइनर पत्रकार। इन्हे बहुत अच्छे से पता है की लोग गुस्से में है और घी डालो भले गलत ही क्यों ना दिखाना पड़े, पकडे गए सबूत के साथ तो माफ़ी वरना टुकड़े गैंग, देशद्रोही, गो टू पाकिस्तान, आदि कई नारे है। तब कहाँ था इनका राष्ट्रवाद जिसके बूते ये आज लोगों को कोसते है की दूसरे डिज़ाइनर पत्रकार फोटो खींचवाते है लेकिन ज़ी भी कहाँ पीछे है जनाब (जबकि फोटो लेने में क्या बुराई है)
कई बार ज़ी न्यूज़ के प्रमुख एडिटर सुधीर चौधरी अपने DNA एनालिसिस में ट्वीटर ट्रेंडिंग का हवाला देते है। क्या दो दिन पहले उन्होंने ने ट्वीटर ट्रेंडिंग दिखाया था जब ये नंबर दो पर ट्रेंड कर रहा था, क्योंकि फेक न्यूज़ दिखाई थी
अगर इनके अंदाज़ में कहूं तो कई बुद्धिजीवी कहते नज़र आते है इस वक्त तो राजनीति मत करो लेकिन क्या आप ऐसे वक्त पर अपने फ़र्ज़ी राष्ट्रवाद का परिचय दे सकते है? सांप्रदायिक सौहार्द्य जो पहले से ही नहीं चल रहा उसमे अपने फ़र्ज़ी खबर से विष घोलना कितनी अच्छी बात है?
ये नया और आखिरी नहीं है चाहे वो दो हज़ार के नोट की बात हो या ज़ी न्यूज़ के कुछ अन्य वीडियो जैसे सिद्धू के सभा में पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे को जिंदाबाद बता देना, महुआ मोइत्रा को बदनाम करने की साजिश करना और भाषण चोरी करने का इलज़ाम लगाना फिर पकडे जाने पर एक घंटे तक तर्क[1] या कहे कुतर्क देना, और भी कई है कितना मेहनत करूँ आप समझ जाओ ये चैनल हमेशा गलत खबर में अव्वल रहा है।
जब आधिकारिक पुष्टि नहीं, जानकारी नहीं तो किस बिनाह पर खबर चला देते है कोई आकाशवाणी होती है क्या? परन्तु मसला ये है जहाँ प्रशासन और सरकार की बात आती है तो वहां वो हस्तक्षेप कर सही बात बता देते है और बाकी मामलों में ये पानी पी पी कर इतना ज़हर बोते है और गलत वीडियो को भी सच बताते है लोगभरोसा कर ले, क्योंकि सब जाकर उसकी जांच पड़ताल नहीं करते।
जब ज़ी न्यूज़ को कोई धमकी देता है या अपशब्द कहता है तो ये गलत है क्योंकि इसके जगह कानूनी रास्ता अपनाना चाहिए। लेकिन ऐसा हम और आप सोचते है जब कि इनके लिए वो धमकी एक तमग़ा होता है और वो तो खुश होते है कि चलो फेक न्यूज़ का इनाम तो मिला। जब आप गंदगी परोसते है तो बाद में कही जाने पर आपका विरोध किया जाता है क्योंकि आपने गलत खबर दिखाकर किसी को बदनाम करने की कोशिश की थी, लेकिन आप इस विरोध को भी विक्टिम कॉर्ड के तरह इस्तेमाल करते है। कब समझेंगे की बोएंगें ज़हर तो अलफांसो आम थोड़ी खाने को मिलेगा।
बस भगवान से यही दुआ करता हूँ ये फ़र्ज़ी राष्ट्रवादी लोग इस तरह नफरत फैलाने के दौरान चिल्ला चिल्ला कर अपना वोकल कॉर्ड ना खो बैठे
और दूसरों को ज्ञान देते है
देखिये अब दिल पर मत लीजियेगा क्योंकि मेरी तो हमेशा से मनोकामना रही है (पहले भी बताया है मैंने) की सुधीर जी के DNA शो का प्रसारण बड़ी बड़ी 100 x 100 की स्क्रीन पर हर चौकचौराहे पर हो और हम सब राष्ट्रवादी लोग उन्हें एक साथ देख पाए ये बात और है की भ्रामक खबर पर करवाई करने की बात होती है।
वीडियो और चित्र साभार: ट्विटर

धन्यवाद

Post a Comment

0 Comments