कोरोनावायरस ने आपको क्या सिखाया?

"यही कि हम ईश्वर में विश्वास का केवल दिखावा ही करते हैं वास्तव में हमें ईश्वर पर सच्चा विश्वास नहीं है।"
यह बात विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों से सिद्ध हो चुकी है कि इस धरती पर वायरस और अन्य सूक्ष्मजीव इंसान से पहले ही मौजूद थे तो जब हमारे रचनाकार या ईश्वर जब इंसानी शरीर की रचना कर रहे थे, तो उनको भी इस बात का पता था कि धरती पर मौजूद सूक्ष्मजीव या वायरस इंसानी शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं । तो क्या ईश्वर ने इंसानी शरीर में वायरसों को रोकने की व्यवस्था नहीं की होगी? जिस इंसानी शरीर को अभी प्रयोगशाला में बनाने में हम इंसानों को हजारों साल भी लग सकते हैं उस विलक्षण इंसानी शरीर में छोटे से वायरस को रोकने की प्रभावी क्षमता नहीं होगी, यह सोचना ईश्वर की दक्षता पर अविश्वास या कहें, हमारी मूर्खता होगी।
पहले तो मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि मनुष्य के शरीर के अंदर व आसपास के वातावरण में हर समय लाखों करोड़ों की संख्या में सूक्ष्मजीव मौजूद रहते हैं जिनमें वायरस भी है।
" अब तक 219 ऐसी वायरस प्रजातियां खोज ली गई है जो मनुष्यों को प्रभावित करती है और हर वर्ष 3-4 नई प्रजातियां सामने आ रही है "
अर्थात आने वाले समय में हमें कई नए वायरसों का सामना करना पड़ सकता है।
तो पहले से मौजूद वायरसों से हम बीमार क्यों नहीं पडते, और नये वायरस हमारे लिए खतरनाक क्यों है ? क्योंकि यह सभी पुराने वायरस पूरे विश्व में फैल चुके हैं जिससे अधिकतर इंसान इनके संपर्क में आ चुके हैं और एक बार संपर्क में आने के बाद शरीर में इनकी एंटीबॉडी बन चुकी है। क्योंकि मानव शरीर पर जब किसी वायरस का अटेक होता है तो हमारा प्रतिरोधी तंत्र उस वायरस को पहचान कर उसकी एंटीबॉडी बना लेता है । अर्थात वायरस एक ऐसी चीज है जिसको पहचान कर नष्ट करने की क्षमता सिर्फ और सिर्फ एक ही स्थान पर है, और वह है हमारा शरीर । जो दवाई कोई वैज्ञानिक नहीं बना पा रहा है उसे हमारा शरीर बनाने में सक्षम है और फिर भी हम डर रहे हैं क्यों?"
किसी भी नए वायरस का संक्रमण जब किसी व्यक्ति पर होता है तो संक्रमण शुरू होते ही हमारा प्रतिरक्षा तंत्र उसकी एंटीबॉडी शरीर में ढूंढता है । यदि उस वायरस का उसके शरीर में पूर्व में संक्रमण हो चुका है तो उसकी एंटीबॉडी का कोड हमारे शरीर में सुरक्षित रहता है और उस स्थिति में शरीर का काम केवल शरीर में घुसने वाले वायरसों की संख्या के आधार पर नई एंटीबॉडी का निर्माण करना है जिससे वायरस हमारे शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा पाते है। इसलिए पूर्व में संक्रमित हो चुके किसी वायरस से हम ज्यादा बीमार नहीं पड़ते हैं । परंतु जब वायरस हमारे शरीर के लिए नया होता है तो शरीर को उस वायरस की संरचनात्मक स्थिति को समझकर उसके अनुसार एंटीबॉडी बनाने में कम से कम तीन दिन लग जाते हैं और यह उस व्यक्ति की इम्युनिटी पर भी निर्भर करता है। इस बीच वह वायरस अपनी संख्या शरीर में बड़ा लेता है और हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। हमारा प्रतिरोधी तंत्र एंटीबॉडी बनाकर और उनका उत्पादन शुरू करके लगभग 7 दिन में वायरसों का शरीर से खात्मा कर देता है। परन्तु इस अवधि में हमारे शरीर का जो नुकसान होता है वह कितना हुआ है इसी पर आगे के जीवन की स्थिति निर्भर करती है । अब इसमें कई स्थितियां बनती है जैसे -
यदि जिस व्यक्ति को संक्रमण हुआ है वह एक सामान्य स्वस्थ व्यक्ति है और संक्रमण भी हल्का यानि शरीर के अंदर जाने वाले वायरसों की संख्या काफी कम है तो उस व्यक्ति को थोड़ा सा सर्दी जुकाम हल्का सा बुखार गले में खराश इत्यादि होगा परंतु क्योंकि उसकी इम्यूनिटी अच्छी है तो 3 दिन बाद शरीर वायरसों को नई एंटीबॉडी बनाकर खत्म करना शुरू कर देता है और 3- 7 दिन में संपूर्ण सफाया कर देता है । इस बीच में शरीर को चूंकि बहुत कम नुकसान होता है क्योंकि वायरसों की संख्या कम थी ।इसलिए मनुष्य का शरीर अंदर से ज्यादा डैमेज नहीं होता है और वह व्यक्ति 3 से 7 दिन में वापस पूर्ण स्वस्थ्य हो जाता है।
परंतु अब उसे एक फायदा हो जाता है कि अगर उस पर इसी वायरस का अटेक दोबारा होता है तो वह इतना बीमार नहीं पड़ेगा क्योंकि उसके शरीर में इसकी एंटीबॉडी बन चुकी है
दूसरी स्थिति- यदि संक्रमण की मात्रा ज्यादा है यानि वायरस ज्यादा संख्या में शरीर में प्रवेश कर चुके हैं या जिस व्यक्ति पर संक्रमण हुआ है वह पहले से ही किसी अन्य गंभीर बीमारी बीमारी से ग्रस्त है तो उसकी इम्यूनिटी कमजोर होती है जिससे वायरस की एंटीबॉडी तैयार होने में अधिक समय लगता है। और शरीर को वायरस का खात्मा करने में अधिक समय लगने से उसका शरीर वायरसोंं के खत्म होते-होते काफी क्षतिग्रस्त हो चुका होता है और यदि समुचित चिकित्सा सुविधा ना मिले तो जीवन खतरे में पड़ सकता है। परंतु चिकित्सा सुविधा मिलने पर ज्यादा खतरनाक स्थिति नहीं होती है।
दवाई -वैज्ञानिक जो वैक्सीन बनाने की बात कर रहे हैं वो और कुछ नहीं इसी वायरस का कमजोर रूप है जिससे किसी इंसान को नियंत्रित मात्रा में बहुत हल्का संक्रमित किया जाता है इस संक्रमण से शरीर को ज्यादा नुकसान नहीं होता और शरीर उसकी एंटीबॉडी बना लेता है और व्यक्ति वायरस के प्रति प्रतिरोधी हो जाता है । तो कुल मिलाकर वायरस को खत्म करने की दवा किसके पास है ? हमारे खुद के शरीर के पास।
तो हम क्या करें?
किसी भी नए वायरस से डरने की आवश्यकता नहीं है बात केवल कोरोनावायरस की ही नहीं है कोई भी वायरस किसी भी इंसानी शरीर के लिए नया हो सकता है, यदि वह इंसान उस वायरस से पूर्व में कभी भी संक्रमित नहीं हुआ है तो वह वायरस उस इंसान के लिए नए कोरोनावायरस की तरह ही व्यवहार करेगा 
इसलिए यदि आप किसी नए वायरस से हल्के संक्रमित होते हैं तो आपको साधारण सर्दी जुकाम से संबंधित साधारण लक्षण दिखाई देंगे, जिनका इलाज आप घर पर रहकर ही हल्का खाना ,सलाद खाकर और गरम पेय पीकर कर सकते है शरीर में दर्द बुखार होने की अवस्था में पेरासिटामोल ली जा सकती है, बाकी इसका कोई बाहरी इलाज नहीं है क्योंकि इसका इलाज खुद शरीर ही कर सकता है ।बस आपको अपने शरीर का सहयोग करना है और ध्यान रखना है कैसे
1. हो सके जितना आराम करना है ।
2. पेट लगभग खाली रहना चाहिए मतलब जो भी खाएं हल्का-फुल्का खाएं और गरिष्ठ भोजन से दूर रहे वैसे भी जुकाम की स्थिति में हल्का बुखार होने से भूख कम हो जाती है। ज्यादातर पेय पदार्थ लें और जो भी चीज खाए पिए वह थोड़ा गर्म हो तो अच्छा है । सलाद और फ्रूट ज्यादा लें और कुछ नहीं तो कम से कम बार-बार गुनगुना पानी पीते रहें।
3. शरीर में दर्द व बुखार होने पर पेरासिटामोल ली जा सकती है जिससे शरीर में आराम रहेगा।
और सबसे महत्वपूर्ण बात ! समाचार चैनलों और सोशल मीडिया पर आने वाली नकारात्मक खबरों से दूर रहें और मन में भगवान पर सच्चा विश्वास रखें।
किसी भी प्रकार से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है । 80 से 90% मामलों में व्यक्ति खुद ही घर पर ठीक हो सकता है । स्थिति अधिक खराब होने पर ही चिकित्सा सुविधा की आवश्यकता होती है।
शरीर में संक्रमण की मात्रा ज्यादा न हो इसके लिए आप सुरक्षा उपायों का प्रयोग कर सकते हैं जैसे हाथों को साबुन से धोना, ज्यादा भीड़ भाड़ में जाने से बचना, मास्क व दस्ताने पहनना इत्यादि। अतः यदि आपको हल्का संक्रमण होता है तो एक तरह से अच्छा ही है कि आप बिना ज्यादा बीमार हुए इस वायरस के प्रति प्रतिरोधी हो चुके हैं । वैसे भी यह वायरस लगभग सभी जगह फैल चुका है तो धीरे धीरे चाहे या बिना चाहे लोग इससे संक्रमित होते रहेंगे और उन्हें प्रतिरोधी क्षमता प्राप्त हो जाएगी ।यदि हमारे शरीर में प्रवेश करने वाले वायरसों की संख्या अति न्यून होगी तो हमें बिना पता लगे भी हम इस वायरस के प्रति प्रतिरोधी हो सकते हैं । और जिन लोगों को एक बार प्रतिरोधी क्षमता मिल चुकी है वह दोबारा कोरोना से बीमार नहीं पड़ेंगे ।
और इसी प्रकार हम भविष्य में आने वाले नए वायरसों से भी आसानी से निपट सकते हैं। बस डरना नहीं है, और ईश्वर व उसकी रचना पर सच्चा विश्वास रखना है।
फिर हमारे लिए कोरोनावायरस या अन्य कोई नया वायरस डरावना नहीं होगा।
ईश्वर आपको ईश्वर पर विश्वास करने की शक्ति देंं !

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