मोदी जी आज अमेरिका से डर क्यों गए?

शायद कई लोगों ने आज दोपहर से चल रहे इस ट्रेंडिंग हैशटैग को देखा होगा। मोदी जी का आलोचक (ज्यादत्तर) होने के नाते भी इस वाकिये से जुड़ा ये हैशटैग मुझे बिलकुल पसंद नहीं आया। क्यों पसंद नहीं आया और मोदी जी से क्या उम्मीद है वो आपको नीचे बताता हूँ।
मामला क्या है?
आप जानते होंगे की हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन के उत्पादन में भारत शीर्ष पर है वही अमेरिका में इसका उत्पादन उस स्तर पर नहीं है। लेकिन COVID 19 के इलाज़ में इसका प्रयोग किया जा रहा है (डॉक्टरों की सलाह पर)। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पिछले महीने भारत ने 26 दवाओं/ड्रग्स के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया था। जिसमे हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन समेत कुछ और दवाओं/ड्रग्स भी शामिल थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को कोरोनोवायरस प्रकोप से उत्पन्न स्थिति पर विस्तृत चर्चा की और भारत-यू.एस. की पूरी ताकत को तैनात करने का संकल्प लिया ज़ाहिर सी बात है इसी दौरान ट्रम्प ने अनुरोध किया होगा की हमे हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की आपूर्ति करवाई जाये और मोदी जी ने मदद का भरोसा दिया होगा।
कल सरकार ने एक बयान में कहा-पिछले महीने लगे दवाओं पर लगे प्रतिबंध को हटाया जाता है। 
ये सब ठीक था लेकिन सरकार के इस बयान से पहले व्हाइट हाउस में कोरोनोवायरस पर एक प्रेस वार्ता के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प ने धमकी भरे लहज़े में कहा
“मैंने उनसे (पीएम मोदी) रविवार की सुबह बात की और मैंने कहा कि हम इसकी सराहना करते हैं कि आप हमारी आपूर्ति (हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की) को बाहर आने की अनुमति दे रहे हैं। यदि वह इसे बाहर आने की अनुमति नहीं देते, तो भी ठीक था, लेकिन बेशक इसका प्रतिशोध/बदला लिया जाता, क्यों नहीं होगा? " ट्रम्प[3]
मोदी जी आज अमेरिका से डर क्यों गए?
हालाँकि की ये साफ़ नहीं हो पाया की किन कारणों से निर्यात पर लगे प्रतिबन्ध को हटाया गया लेकिन ये भी स्पष्ट है ट्रम्प के दवाब में यह फैसला लिया गया है।
तो क्या मोदी जी डर गए?
देखिये मेरा मानना है की अगर भारत निर्यात करने में सक्षम है और भारत में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की कोई कमी नहीं (भविष्य में भी) तो ये कहना बिलकुल गलत है की मोदी जी डर गए इसलिए निर्यात के लिए राज़ी हो गये. क्योंकि अमेरिकी नागरिकों की अगर इस दवाई से जान बच रही तो भारत को मदद करने में कोई हर्ज़ नहीं होना चाहिए।

ट्रम्प अपने बड़बोले और बेहूदा अंदाज़ के लिए मशहूर है और उसी लहज़े में उन्होंने वो बयान दिया है जो किसी भी तरह गवारा नहीं, लेकिन चर्चा तो विश्व में होगी। ये तो वही बात हो गयी की आप मेरे घर मदद मांगने आये और मैंने मदद की हामी भरी और उधर आप दुनिया को बोलो अच्छा है राज़ी हो गया वरना बताता मैं/बदला लेता।
ट्रम्प और मोदी जी के बीच क्या बात हुई वही दोनों जाने लेकिन मोदी जी को पूछना जरूर चाहिए “डिअर ट्रम्प वाय यू गेव सच अ स्टुपिड स्टेटमेंट”। एक तो मदद करो ऊपर से धमकी। सार्क समेत तीस देश ने भी भारत से कई बार अनुरोध किया है की भारत निर्यात पर लगे रोक को हटाए और हमारी मदद करे. उसका क्या होगा मोदी जी? अब तो लोग सवाल उठाएंगे
दिक्कत यहाँ के लोगों में है नमस्ते ट्रम्प के दौरान मीडिया और कई लोग ट्रम्प-मोदी की जोड़ी को जय-वीरू जैसा दर्शा रहे थे। अभी शायद किसी को बयान से आपत्ति नहीं? बस मोदी जी ट्रम्प के दोस्त हो गए तो आधी आवाम भी ट्रम्प की बड़ाई में लग गयी थी। जबकि सच तो यही है दोनों एक दूसरे का पोलिटिकल फायदा उठाते है। ट्रम्प के स्वागत में करोड़ों खर्च किये गए गरीबी हटाने के जगह गरीबों को दिवार बनाकर ढका गया। लेकिन वही पांच अप्रैल को इन गरीबों ने दिए जलाये तो उसे बड़े गर्व से अमित मालवीय ने ट्वीट किया। और ट्रम्प के ऐसे बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं? ट्रम्प से दोस्ती है भी तो दोस्ती बाद में पहले भारत के प्रधानमंत्री है जो भारत का प्रतिनिधित्व करते है। अगर यही बयान इमरान खान ने दिया होता तो मीडिया ने स्वघोषित युद्ध की शुरुआत कर दी होती।
खैर शशि थरूर ने ट्रम्प को करारा जवाब दिया ट्वीट कर
विश्व मामलों में मेरे दशकों के अनुभव में मैंने कभी किसी राज्य प्रमुख या सरकार को इस तरह से खुलेआम धमकी देते नहीं सुना। भारतीय हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को "हमारी आपूर्ति", क्या बनाता है राष्ट्रपति ट्रम्प? यह केवल “आपकी आपूर्ति” तब ही बनता है जब भारत आपको इसे बेचने का फैसला करता है।
मीडिया/कुछ लोगों को भी बोलने से पहले सोचना चाहिए (पहले कहा) की मोदी से डरे ट्रम्प या ट्रम्प और मोदी जी का याराना या ट्रम्प को नायक के रूप में प्रस्तुत करना, ये सब बचकाना हरकत है. लोगों के बीच नफरत/घृणा बोना है या ट्रम्प जैसे को भी अच्छा इंसान बतलाने में लग जाते है अपने रंगबिरंगे स्टूडियो में बैठ कर, क्यों? केवल टीआरपी के लिए।
इसलिए अतिथि को उतना ही सत्कार देना चाहिए जितने की उसकी हैसियत हो और उसके पीछे रुपये बहाने का कोई औचित्य नहीं। एक देश के प्रमुख को दूसरे देश के प्रधानसेवक द्वारा की गयी मदद के लिए इस लहज़े में चेतवानी देना शोभा नहीं देता, मदद मांगने वाले को विनम्र होना चाहिए नाकि मदद मिलने के बाद उसके लिए रेटालिएशन शब्द का इस्तेमाल करना चाहिए।
संपादन- कई लोग इस फेक खबर को शेयर कर रहे, उत्तर लिखे जाने तक ऐसी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं आयी है की भारत ने कोई मांग रखी है. आप गूगल में इस तरह डाले "अमेरिका चाहता था कि भारत Hydroxychloriquine दवा फौरन उसे बेचना शुरू करे। चतुर बनिए की तरह भारत सरकार ने 3 डिमांड रख दी" आप पाएंगे की ये पोस्ट फेसबुक पर कई लोगों ने शेयर की है जो की आईटी सेल द्वारा चलायी गयी फेक न्यूज़ है। उसी पोस्ट को हूबहू कॉपी करदिया गया है कई जगह।
अनुरोध का शुक्रिया
धन्यवाद

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