भले ही देश आर्थिक मंदी से जूझ रहा हो, भले ही बेरोजगारी चरम पर हो लेकिन गोदी मीडिया अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है।
वो हिंदू-मुसलमान, हिंदुस्तान-पाकिस्तान और इमरान खान-इमरान खान की रट लगाए हुए है।
इसी की बानगी है देश का सबसे तेज़ चैनल कहलाने का दावा करने वाला ‘आज तक’ जिस पर रोज शाम 5:00 बजे आने वाले प्रोग्राम ‘दंगल’ में खुद ही पहलवान बनकर टीवी एंकर इमरान खान को ललकार रहा होता है।
देश कितनी भी मुसीबत में हो या फिर देश में कितने भी जरूरी मुद्दे हों लेकिन हर शाम को वह इमरान खान पर ही प्रोग्राम करता है
कभी कहता है ‘PoK वापस दे दे इमरान’ कभी ललकारता है ‘संभल जाओ इमरान काबू में रखो जुबान’ कभी कहता है ‘कश्मीर पर हारे अब जिहाद के सहारे’ कभी कहता है ‘फंस गए आतंक के भाईजान’ तो कभी प्रोग्राम करता है ‘मुसलमान-मुसलमान करके बच जाएंगे इमरान।’
मतलब साफ है कि इमरान खान को निशाने पर रखने की वजह सिर्फ राष्ट्रवाद नहीं है बल्कि मुसलमान होना भी है।
क्योंकि इमरान खान पड़ोसी मुल्क के प्रधानमंत्री हैं और मुसलमान भी हैंतो बात बात पर उन्हें ललकार कर राष्ट्रवादी एजेंडे को प्रचारित करती हुए असल मुद्दों से ध्यान भटकाने में एंकर सफल हो जाता है।
भले ही देश का श्रम एवं रोजगार मंत्री कह रहा हो कि उत्तर भारत में युवा रोजगार के काबिल नहीं है लेकिन मजाल है ये गोदी मीडिया उनसे सवाल कर ले कि अगर उत्तर भारत के युवाओं में स्किल नहीं है तो फिर स्किल इंडिया प्रोग्राम के नाम पर अरबों रुपए खर्च करने वाली मोदी सरकार घोटालेबाज क्यों नहीं मानी जाए!
देश अपने यहां के टीवी चैनलों के पत्रकारों से उम्मीद करता है कि उसके असल मुद्दों पर सवाल हो या फिर ये चाहता है कि टीवी स्टूडियो में एंकर पहलवान बन जाए और युद्ध के लिए सबको ललकारता फिरे ?
वैसे इस दौर में जब टीवी के तमाम एंकर अपने आपको राष्ट्रवादी कहने में गर्व महसूस करने लगे हैं तो फिर वो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को ललकारें या राष्ट्रपति को या फिर सेना प्रमुख को, किसी न किसी रूप में अपने दर्शकों के मन को संतुष्ट कर ही देते हैं। लेकिन सवाल उठता है कि आम जनता जो अपना टैक्स सरकारों को देती है, जो अपनी सरकार हिंदुस्तान में चुनती है, उसके मुद्दों पर उसके सवालों पर बहस क्यों नहीं किया जाता।
क्या ये भीषण आर्थिक मंदी छोटी बात है ? क्या अवसाद में जी रहे ये करोड़ों बेरोजगारों का गुस्सा कोई आम बात है ? क्या पाकिस्तान को युद्ध के लिए ललकारना ही अब सबसे जरूरी बात है ?
‘आज तक’ पर आने वाले प्रोग्राम दंगल के पिछले 15 दिनों के टॉपिक्स का कोलाज बनाते हुए शीतल पी सिंह ने फेसबुक पर लिखा-
सिर्फ बीते 15 दिनों में देश के सबसे बड़े हिंदी न्यूज़ चैनल आज़तक के सिर्फ इमरान खान से दंगल का नज़ारा लीजिये ।
कहा जाता है कि इसकी टी आर पी भी तगड़ी है ।
लगता है इन पंद्रह दिनों में देश में और कुछ भी नहीं हुआ है !
यह वो पत्रकारिता है जो वास्तविक पत्रकारिता के कपड़े फाड़ने के लिए झूठ गढ़ने, फोटोशॉप करने, कट पेस्ट करने के लिए किसी भी मानदंड को रौंद सकती है।
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