समुद्र तल बढ़ने से किस भारतीय महानगर के डूबने के खतरा सबसे ज्यादा है ?

वर्तमान समय में पर्यावरण के समक्ष तरह-तरह की चुनौतियां गंभीर चिन्ता का विषय बनी हुई हैं। ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से ग्लेशियर तेजी से पिघल कर समुद्र का जलस्तर तीव्रगति से बढ़ा रहे हैं। जिससे समुद्र किनारे बसे अनेक नगरों एवं महानगरों के डूबने का खतरा मंडराने लगा है। हिमालय में ग्लेशियर का पिघलना कोई नई बात नहीं है। सदियों से ग्लेशियर पिघलकर नदियों के रूप में लोगों को जीवन देते रहे हैं। लेकिन पिछले दो-तीन दशकों में पर्यावरण के बढ़ रहे दुष्परिणामों के कारण इनके पिघलने की गति में जो तेजी आई है, वह चिंताजनक है।
ग्लोबल वार्मिंग का खतरनाक प्रभाव अब साफतौर पर दिखने लगा है। देखा जा सकता है कि गर्मियां आग उगलने लगी हैं और सर्दियों में गर्मी का अहसास होने लगा है। इसकी वजह से ग्लेशियर तेजी से पिघल कर समुद्र का जलस्तर तीव्रगति से बढ़ा रहे हैं। ऐसे में मुंबई समेत दुनिया के कई हिस्सों एवं महानगरों-नगरों के डूबने की आशंका तेजी से बढ़ चुकी है। इसका खुलासा अमरीकन नेशनल अकादमी ऑफ साइंस ने किया है। उन्होंने अपने अध्ययन में दुनिया के 7 शहरों पर ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण पड़ने वाले प्रभाव के बारे में विस्तार से बताया है। अकादमी ने तापमान में दो और चार डिग्री बढ़त के आधार पर अपना निष्कर्ष जारी किया है और दावा किया गया है कि तापमान के दो डिग्री बढ़ने पर गेटवे ऑफ इंडिया चारों तरफ से पानी से जलमग्न हो जाएगा। इसका यदि तापमान 4 डिग्री बढ़ा तो मुंबई अरब सागर में समा जाएगी।
पर्यावरण के निरंतर बदलते स्वरूप ने निःसंदेह बढ़ते दुष्परिणामों पर सोचने पर मजबूर किया है। औद्योगिक गैसों के लगातार बढ़ते उत्सर्जन और वन आवरण में तेजी से हो रही कमी के कारण ओजोन गैस की परत का क्षरण हो रहा है। इस अस्वाभाविक बदलाव का प्रभाव वैश्विक स्तर पर हो रहे जलवायु परिवर्तनों के रूप में दिखलाई पड़ता है। सार्वभौमिक तापमान में लगातार होती इस वृद्धि के कारण विश्व के ग्लेशियर तेजी से पिघलने लगे हैं। ग्लेशियर के तेजी से पिघलने के कारण महासागर में जलस्तर में ऐसी ही बढ़ोतरी होती रही तो महासागरों का बढ़ता हुआ क्षेत्रफल और जलस्तर एक दिन तटवर्ती स्थल, भागों और द्वीपों को जलमग्न कर देगा। ये स्थितियां भारत में हिमालय के ग्लेशियर के पिघलने से एक बड़े संकट का कारण बन रही है।

Post a Comment

0 Comments