पाइथागोरस कप या "लालची कप" क्या है?

पाइथागोरस नहीं चाहते थे कि उनके छात्र ज्यादा पिएं। इसीलिए उन्होंने "लालची कप" यानी "पाइथागोरस कप" का निर्माण किया।
इसे पाइथागोरस कप कहते है इसके अंदर यह अजीब-सा उभरा हुआ भाग होता है। पाइथागोरस ने खुद इस कप की रचना की थी। (वही पाइथागोरस जिन्होंने समकोण त्रिकोण का अध्ययन किया था)
उन्होंने यह कप इसलिए बनाया ताकि उनके सभी छात्र नियंत्रित मात्रा में मद्यपान करें और बेकाबू छात्रों को अपने आप सजा मिल जाये। जैसे ही कोई लालची छात्र ज्यादा मदिरा लेने का प्रयास करता था तो यह कप एक बार में ही पूरा खाली हो जाता था।
आइए जानते हैं कि ये कैसे काम करता है:-
कप के अंदर एक पलटा हुआ यू-ट्यूब है (पलटी हुई आकर की नली / साइफन)
जिसके नीचे एक छोटा छेद है कप के साथ ही यू-ट्यूब में भी पानी भरता जाता है और ऊपर पहुँचते ही, साइफन की क्रिया से सारा पानी बह जाता है।
मदिरा का स्तर जब इस बीच वाली नली से ऊपर हो जाता है तब पूरी मदिरा कप के नीचे वाले छेद से बह जाती है।
साइफन की क्रिया हम सब में से अधिकतर लोगों ने देखी ही होगी जब हम किसी पानी भरी बाल्टी या ड्रम में एक पाइप लगाकर दूसरे सिरे से चूसते हैं तो अपने आप पानी बहना शुरू हो जाता है।
अगर नहीं किया तो आसान सा तरीका है
1. एक बाल्टी या किसी चीज़ में पानी लीजिये, उसे थोड़ी ऊंचाई पर रखिए।
2. पाइप को पानी में इस तरह लगाइये की उसका दूसरा छोर बाल्टी में पानी के स्तर से नीचे रहे।
3. अब दूसरे छोर से पाइप को चूसिये ताकि पानी का बहाव शुरू हो जाए।
4. बस अब पानी अपने आप बहना शुरू हो जाएगा, बस यही साइफन होता है।
पाइथागोरस कप की क्रिया भी ठीक इसी प्रकार काम करती है पर थोड़े से जटिल तरीक़े से।
आशा है कि ये जानकारी पसंद आई होगी।

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