ट्यूबलाइट सफेद और बल्ब पीली रोशनी क्यों करता है, कौन सी रोशनी हमारे लिए बेहतर है और क्यों ?

ट्यूबलाइट में कम दाब पर पारे (मर्करी) धातु की वाष्प होती है। इसके अलावा इसके अंदर अक्रिय गैस है जैसे नियॉन, आर्गन, जेनॉन गैस होता है। यह गैस ट्यूबलाइट के अंदर बहुत ही कम दाब पर वायुमंडलीय दाब के 0.3% पर भरी जाती है। ट्यूबलाइट की अंदरूनी सतह पर तरल पदार्थ जैसे फोस्फोर की कोटिंग की जाती है। जब ट्यूबलाइट के इलेक्ट्रोड के मध्य धारा प्रवाहित होती है, तो मरक्यूरी की वाष्पायनित हो जाती है और अल्ट्रावायलेट किरणें उत्कर्ष करती है। यह अल्ट्रावायलेट किरणें फोस्फोर कोटिंग से टकराकर सफेद प्रकाश पैदा करती है।
वहीं बल्ब मे एक टंगस्टन(filament) का पतला तार होता है जो कि लगातार उच्च विद्युत् प्रवाह के कारण गर्म हो जाता है और लगभग 2550 डिग्री सेल्सियस का अति उच्च तापमान प्राप्त करता है। इस तापमान पर यह कम आवृत्ति वाला दृश्य प्रकाश क्षेत्र के विकिरणों से उत्पन्न होता है जो कि लाल पीले रंग के होते है। उम्मीद है अब यह स्पस्ट होगा कि क्यों ट्यूबलाइट का प्रकाश सफेद जबकि बल्ब का प्रकाश लाल पीले रंग का होता है।
कौनसी रोशनी बेहतर ?
रंग तापमान केल्वीन (k) में मापा जाता है जो कि 1000k से 10000k तक होता है।
गेस्ट रूम, बेडरूम मे पीली रोशनी (warm white) अच्छी रहती है क्योंकि यह आँखों के लिए शान्त होती है। जबकि लिविंग रूम, स्टडी रूम, कार्यस्थलों व सार्वजनिक स्थानों में सफेद रोशनी (cool white) अच्छी रहती है क्योंकि वहां हम क्रियाशील और रचनात्मक होते हैं। warm white light से आँखों में चुभन कम होती है।
रात में देर तक मोबाइल चलाते समय eye comfort लगा सकते हैं यह स्क्रीन लाइट को हल्की पीली रोशनी (warm white light) मे बदल देता है।
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धन्यवाद 

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